वर्जिनिटी टेस्ट की कुप्रथा खत्म होने तक जारी रहेगा संघर्ष

पुणे, विवाह में फेरों के बाद दुल्हन की तब तक विदाई नहीं होगी जब तक सुहागरात मनाकर सफेद चादर पर लगे उसके खून के निशान गांव के पंचों की कमिटी देख नहीं लेगी। कंजार भाट समाज की इस कुप्रथा का विरोध करनेवाले युवाओं के साथ मारपीट का मामला हालिया सामने आया है। इस बारे में पुणे पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की है, हांलाकि इस घटना के बाद भी समाज के युवाओं के हौसले बुलंद है। सोशल मीडिया पर इस कुप्रथा के विरोध में अभियान शुरु करनेवाले युवाओं ने यह कुप्रथा खत्म होने तक अपना अभियान व संघर्ष जारी रखने का ऐलान किया है।
कंजार भाट समुदाय की इस परंपरा में शादी के तुरंत बाद लड़के और लड़की को सुहागरात मनाने को एक कमरा दिया जाता है। जिसमें सफेद चादर बिछाई जाती है और सुबह वह चादर गांव वालों के सामने पंचकमिटी को दिखानी होती है। वह देखते हैं कि चादर में खून के निशान हैं या नहीं। अगर खून के निशान हैं तो लड़की को वर्जिन माना जाता है और उस शादी को मान्य मानकर विदाई कर दी जाती है। अगर खून के निशान नहीं हैं तो लड़की को मारा-पीटा जाता है और उस पर तरह-तरह के जुल्म होते हैं। उसके परिवार वालों को जुमार्ना भरना होता है और तय सजा के बाद ही वह शादी मान्य मानी जाती है।
समाज के युवा विवेक तामचीकर की करीब चार महीने पहले जब शादी तय हुई तो उसने तय कर लिया कि वह अपनी दुल्हन के साथ ऐसा नहीं होने देगा। उन्होंने जब पंचों के सामने ऐलान किया कि अपनी शादी में इस दकियानूसी परंपरा को नहीं मानूंगा तो उसके परिवार पर पंचों की तरफ से दबाव आने लगा। विवेक ने तब ‘स्टॉप द वी रिचुअल’ नाम से एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया। जिसमें शुरू में करीब 10 लोग जुड़े लेकिन अब उसमें 50 लोग हैं जिसमें 15 लड़कियां भी हैं। इस ग्रुप ने खुलकर इस परंपरा का विरोध शुरू किया। दो बार अलग-अलग शादियों में इस परंपरा को जबरन कराने के लिए पुलिस में शिकायत भी की लेकिन पुलिस ने नहीं सुनी।
इसी वॉट्सऐप ग्रुप के सदस्य प्रशांत इंद्रेकर, जो बीते दिन पुणे के पिंपरी इलाके में हुई मारपीट का शिकार बना था, ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया कि, मेरी शादी अप्रैल में तय है और मैं इस परंपरा को बिल्कुल नहीं मानूंगा। लड़की वर्जिन है या नहीं यह हमारा व्यक्तिगत मामला है और किसी पंच को इसमें अपनी राय थोपने की जरूरत नहीं है। जबसे हमने इसका विरोध किया है तब से मेरे परिवार को कई जगह जलील किया गया है उन्हें कई शादियों में निमंत्रण के बाद भी प्रवेश नहीं करने दिया। हमें डराया जा रहा है कि न तो आपके घर की शादी में कोई आएगा न ही कहीं से निमंत्रण दिया जाएगा। ऐसा उन सभी युवाओं और उनके परिवार वालों के साथ हो रहा है जो इस परंपरा के विरोध में डटे हैं।
प्रशांत ने कहा कि कुछ महीने पहले महाराष्ट्र में एक कानून आया कि पंच कोई फैसला नहीं कर सकते और उनका फैसला मान्य नहीं होगा। इससे पहले पंच तलाक, आपसी झगड़े जैसे मामलों में फैसला सुनाते थे, लेकिन अब कानून के बाद उन्हें यह परंपरा थोपनी बंद कर देनी चाहिए। सोमवार रात भी इसी तरह की एक शादी में कुछ लोगों ने प्रशांत और उनके दो साथियों की पिटाई की। इसमें मारपीट का मामला दर्ज कर लिया गया है। हालांकि प्रशांत का कहना है कि यह महज मारपीट का मामला नहीं है बल्कि इस परंपरा के खिलाफ भी शिकायत दर्ज होनी चाहिए। एक तरफ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान चल रहा है और दूसरी तरफ लड़कियों का जबरन वर्जिनिटी टेस्ट हो रहा है। वॉट्सऐप ग्रुप से जुड़नेवालों पर ग्रुप छोड़ने का लगातार दबाव बनाया जा रहा है। जब तक यह दकियानूसी परंपरा बंद नहीं होती यह वॉट्सऐप ग्रुप भी बंद नहीं होगा।