लिव इन रिलेशन से जन्मे बच्चे को जन्मदाता का नाम नहीं मिल सकता: उच्च न्यायालय

मुंबई: पुणे समाचार
लिव इन रिलेशन से जन्मे बच्चे को जन्मदाता का नाम नहीं मिल सकता यह निर्णय उच्च न्यायालय ने दिया है।

लिव इन रिलेशनशिप से इस दुनिया में आए एक युवा ने न्यायालाय में याचिका दायर की थी कि उसकी माँ जिसके साथ इस तरह के रिश्ते में थी अभिभावक के रूप में उसका नाम अपने नाम के साथ लगाने की इजाज़त माँगी थी। ताकि जन्मदाता की जाति से मिलने वाले आरक्षण का लाभ उसे भी मिल सके। न्यायमूर्ति रणजीत मोरे और न्यायमूर्ति साधना जाधव की बेंच ने स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 226 के अनुसार माँ के लिव इन रिलेशन पार्टनर का नाम जन्मदाता के रूप में इस्तमाल करने की रिट याचिका को स्वीकार नहीं किया जा सकता।

लड़के की माँ नर्स है और वह एक डॉक्टर के साथ लिव इन में रहती थी। युवक ने उसी आधार पर माँग की थी कि उस डॉक्टर का नाम उसके जन्मदाता के रूप में कागज़ातों पर लिखा जाए। साथ में इस याचिका के समर्थन में माँ का शपथ पत्र भी न्यायालय में पेश किया गया था। उस शपथ पत्र में माँ ने कहा था कि बेटे का जन्म लिव इन से हुआ है। साथ ही यह भी कहा कि अधिकृत तौर पर शादी न होने से बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र, स्कूल सर्टिफिकेट आदि पर पिता का नाम नहीं लिखा था।