मामला एडीएम (वित्त और राजस्व) प्रेम प्रकाश उपाध्याय ने दर्ज कराया था। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि अहमदपुर गांव में राजस्व विभाग के कर्मचारियों के साथ मिलकर अवैध तरीके से जमीन को फ्रीहोल्ड प्रॉपर्टी के रूप में सोसायटी को सौंपा गया।
मामले को लेकर तत्कालीन एडीएम (वित्त और राजस्व) मदन पाल आर्य, डिप्टी रजिस्ट्रार, राजस्व विभाग (सदर) घनश्याम, राजस्व क्लर्क राम कृष्ण श्रीवास्तव, कलेक्ट्रेट में प्रशासनिक अधिकारी विंध्यवासिनी प्रसाद पर जांच चल रही है। इसके अलावा कमला नेहरू एजुकेशनल सोसायटी के सदस्यों में विक्रम कौल, दिवंगत कांग्रेस सांसद शीला कौल के बेटे, सचिव सुनील देव, रायबरेली निवासी ट्रस्टी सुनील कुमार और तत्कालीन अध्यक्ष पर भी जांच चल रही है। इससे पहले सिटी मजिस्ट्रेट युगराज सिंह ने भूखंड आवंटन में अनियमितताओं की जांच की थी।
शिकायतकर्ता प्रेम प्रकाश उपाध्याय ने अपनी शिकायत में कहा है कि सोसायटी के सदस्यों ने जमीन का फ्रीहोल्ड पजेशन पाने के लिए सिफारिश कराने के लिए एक क्लर्क और नाजुल विभाग के प्रमुख को पैसे दिए थे।
उन्होंने कहा, किसी भी करार (डीड) पर हस्ताक्षर नहीं किए गए थे। वहीं आवंटन के लिए ट्रस्ट का आवेदन 6 फरवरी, 2001 को भेजा गया था और 6 महीने के अंदर ही उसे मंजूरी भी मिल गई थी।
जांच में यह बात भी सामने आई है कि क्लर्क और राजस्व एवं प्रशासन के अन्य अधिकारियों ने अपने कानूनी दायित्व को नजरअंदाज करके उस फाइल को आगे बढ़ा दिया। जबकि उस फाइल में कई गड़बड़ियां थीं। साथ ही सोसायटी ने शुल्क के रूप में 9.48 लाख रुपये की बजाय 5.37 लाख रुपये ही जमा किए, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ।
–आईएएनएस
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