राजपथ पर चला छत्तीसगढ़ के वाद्ययंत्रों का जादू

नई दिल्ली, 26 जनवरी (आईएएनएस)। गणतंत्र दिवस पर नई दिल्ली में छत्तीसगढ़ के पारंपरिक वाद्ययंत्रों पर आधारित राज्य की झांकी देशभर के लोगों का आकर्षण का केंद्र बनी।

मंगलवार को राजपथ पर परेड के दौरान प्रदर्शित की गई छत्तीसगढ़ की झांकी ने राज्य के पारंपरिक और लोक संगीत वाद्ययंत्रों की मोहक झलक पेश की।

दर्शकों ने तालियों के साथ झांकी का अभिवादन किया। झांकी में पीछे के हिस्से में गौर नृत्य करते हुए एक आदिवासी पुरुष के विशाल मॉडल को दर्शाया गया था।

झांकी के दोनों किनारों पर, नर्तकियों का मनमोहक नृत्य दिख रहा था और विभिन्न तालवाद्य बजाए जा रहे थे। झांकी में प्रदर्शित अन्य वाद्ययंत्र अलगोजा, कोपडोडका, मांडर, देव नगाड़ा, दाहक, नगाड़ा, दफाडा, सारंगी और बांस थे।

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की मौजूदगी में 72वें गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर इस झांकी की खूबसूरती देखते ही बन रही थी।

छत्तीसगढ़ के जनजातीय क्षेत्रों में प्रयुक्त होने वाले लोक वाद्यों को उनके सांस्कृतिक परिवेश के साथ बड़े ही खूबसूरत ढंग से दिखाया गया। प्रस्तुत झांकी में छत्तीसगढ़ के दक्षिण में स्थित बस्तर से लेकर उत्तर में स्थित सरगुजा तक विभिन्न अवसरों पर प्रयुक्त होने वाले लोक वाद्य शामिल किए गए। इनके माध्यम से छत्तीसगढ़ के स्थानीय तीज त्योहारों तथा रीति रिवाजों में निहित सांस्कृतिक मूल्यों को भी रेखांकित किया गया है।

झांकी के ठीक सामने वाले हिस्से में एक जनजाति महिला बैठी दिखाई दी, जो बस्तर का प्रसिद्ध लोक वाद्य धनकुल बजा रही थी। धनकुल वाद्य यंत्र, धनुष, सूप और मटके से बना होता है। जगार गीतों में इसे बजाया जाता है। झांकी के मध्य भाग में तुरही है। ये फूंककर बजाया जाने वाला वाद्ययंत्र है और इसे मांगलिक कार्यो के दौरान बजाया जाता है।

झांकी के मध्य भाग में पारंपरिक आभूषणों से सजी एक विशाल आदिवासी लड़की के सुंदर चित्रण से दर्शक भी मंत्रमुग्ध हो गए।

–आईएएनएस

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