रांका पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज हो : अदालत का पुलिस को निर्देश

पुणे: मजिस्ट्रेट ने फरासखाना पुलिस की उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था कि शहर के नामी जौहरी के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। कुछ साल पहले यह केस शहर के स्वर्णकार ने रांका के खिलाफ दर्ज किया था, जिसमें कहा गया था कि रांका बंधु उसके भाई को प्रताड़ित कर रहे हैं।

चार साल पहले शहर के प्रसिद्ध रांका ज्वेलर्स के मालिकों के खिलाफ दर्ज धोखा धड़ी के मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) या जेएमएफसी एम.डी.मेश्राम ने फरासखाना पुलिस को हाल ही में फिर खंगालते हुए उनकी ‘सी’ सारांश रिपोर्ट को खारिज कर दिया है, जिसे पुलिस ने पिछले साल दुबारा दाखिल किया था। पुलिस ने दोनों बार अभियुक्त को क्लीन चिट दे दी थी और उसे कोर्ट ने भी दो बार रद्द कर दिया था। अब, अदालत ने अदालत ने आदेश दिया है कि अभियुक्त पर शिकायतकर्ता को धोखा देने का आरोप लगाया जाना चाहिए।

सुनार सुनील पटदिया (56वर्ष) ने 2014 में रांका ज्वेलर्स के मालिकों अनिल रांका और पोखराज रांका के खिलाफ आपराधिक न्यायालय में निजी आपराधिक मुकदमा दायर किया था। पटदिया ने कहा कि वह और उसका छोटा भाई अशोक, सुनार हैं और वर्ष 1999 से रांका के साथ लेनदेन कर रहे थे। जैसा कि उनका काम था,वे रांका को सोने के गहने दिया करते थे और उसके बदले में रांका उन्हें उतने ही वजन का सोना लौटाता थे। शिकायतकर्ता ने कहा कि वर्ष 2008 में अशोक ने 1 अप्रैल से 31 दिसंबर के बीच 15,350 ग्राम वजन के सोने के गहने दिए थे, रांका ने 2,103.14 ग्राम का अंतर छोड़कर 13,246.83 ग्राम सोना वापस दिया। पटदिया ने आरोप लगाया कि उनके 15,350 ग्राम पूर्ण वजन के सोने के गहने पर बकाया सोना उन्हें वापिस नहीं दिया गया।

जब अशोक ने मांग की तो उन्होंने कहा कि इस बार तो उन्होंने दे दिया है, और उनके अगले लेनदेन में समायोजित किया जाएगा। उन्होंने आगे भी इस देनदारी को पूरा नहीं किया और वर्ष 2012 उन्होंने उल्टे अशोक से कहा कि उसके पास उनका दो किलो का स्वर्ण बकाया है। पटदिय भाइयों का दावा है कि रांका ने सोने का गबन किया है और खातों में गड़बड़ी की है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि अभियुक्त ने अशोक की स्वामित्व वाली संपत्ति के रेहन लिखित को भी नष्ट कर दिया और धमकी दी कि अगर वह बात नहीं मानेगा तो उसे मार डालेंगे।

पटदिया ने बताया, “रांका ने अशोक को रविवार पेठ की अपनी दुकान में बुलवाया और 2 किलो सोने वापस करने के लिए कहा; उन्होंने उसे मारने की धमकी दी। जब मैंने उन्हें 1 किलोग्राम सोना दिया, तो उन्होंने उस पर 9 ग्राम सोना ब्याज के रूप में ले लिया। उन्होंने अशोक को धोखा दिया और उसे परेशान किया। जिससे अशोक का 24 अप्रैल, 2014 में निधन हो गया।”

पटदिया ने यह भी दावा किया कि जब वह शिकायत दर्ज करने के लिए पुलिस स्टेशन गया, तो पुलिस ने तुरंत आरोपी को सूचना दे दी।

“मैंने पुलिस स्टेशन पर कुछ कागज़ात पाए जो स्पष्ट रूप से बता रहे थे कि रांका ने अशोक के खाते के साथ गड़बड़ी की है। मुझे भी कुछ झूठी रसीदें मिली। जब मैंने पुलिस को दिखाने की कोशिश की तो उन्होंने कोई सज्ञान नहीं लिया। मेरे भाई और मैंने न्याय पाने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा दिया। हमने आखिरकार अदालत की शरण ली। अब, उन पर धोखाधड़ी और विश्वास के आपराधिक उल्लंघन का आरोप लगा है, “पटदिया ने कहा।

अदालत के आदेश अनुसार, फरसखाना पुलिस ने रांका के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 406, 467, 468, 471, 342, 384, 386 और 506 के तहत प्राथमिकी दर्ज की है, जिसमें विश्वास का आपराधिक उल्लंघन, धोखाधड़ी , गलत तरीके से कैद करने, जबरन वसूली और आपराधिक धमकी का मामला दर्ज किया है।

दिलचस्प बात यह है कि पुलिस ने पहले दो बार ‘सी’ सारांश रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें कहा गया था कि उन्हें आरोपी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला था। अंत में, वकील अजिंक्य ढेंडे, जिन्होंने पटदिया का प्रतिनिधित्व किया, ने विरोध याचिका दायर की और दस्तावेजों को प्रस्तुत किया। पुलिस की ‘सी’ सारांश रिपोर्ट को खारिज करते हुए, अदालत ने कहा कि जाँच अधिकारी ने आँखों पर पट्टी बाँधकर अभियुक्त के बयान स्वीकार कर लिया, यही वजह है कि रिपोर्ट स्वीकार नहीं की जा सकती।