रक्षा मंत्री ने सैन्य साहित्य महोत्सव का किया उद्घाटन, पंजाब को बताया वीर योद्धाओं की भूमि

चंडीगढ़, 18 दिसम्बर (आईएएनएस)। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को उन सभी महान योद्धाओं को सैन्य साहित्य महोत्सव (एमएलएफ) 2020 समर्पित किया, जिन्होंने मातृभूमि की सेवा में सर्वोच्च बलिदान दिया है।

महोत्सव का उद्घाटन करते हुए रक्षा मंत्री ने पंजाब को वीर योद्धाओं की भूमि बताया।

राजनाथ सिंह ने कार्यक्रम के आयोजकों की सराहना भी की। उन्होंने करियर बनाने की ख्वाहिश रखने वाले युवाओं को सेना की संस्कृति की झलक पेश करने के लिए एक व्यवहार्य मंच तैयार करने पर आयोजकों को सराहा।

विस्तारित संसद सत्र के कारण पिछले साल गाला कार्यक्रम में भाग लेने में असमर्थता के चलते सिंह ने खेद भी जताया। रक्षा मंत्री ने आयोजकों को बधाई दी और मंच को जनता के बीच सैन्य मामलों के बारे में अधिक समझ बढ़ाने के लिए एक स्थिर और सार्थक साधन के रूप में विकसित होते देख काफी संतोष भी व्यक्त किया।

उन्होंने कहा, मैं पिछले साल एमएलएफ में हमारे सैनिकों द्वारा की जा रही पुस्तक चर्चा, पैनल चर्चा और साहसी कारनामों सहित सभी गतिविधियों पर नजर रखे हुए था।

राजनाथ सिंह ने कहा, आज मोबाइल मिसाइल की तरह ही एक हथियार है और हमारे युवाओं को साइबर, जैविक और सूचना क्षेत्र में अग्रणी अनुसंधान द्वारा हमारी सेनाओं का लाभ उठाना चाहिए और उन्हें पूरक बनाना चाहिए।

रक्षा मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि मंच अधिक से अधिक क्षेत्रीय और राष्ट्रीय महत्व के लिए महत्वपूर्ण वार्ता का माहौल प्रदान करता रहेगा।

उन्होंने युवाओं से वीरता, बलिदान और दृढ़ संकल्प के गुणों को अपनाने की भी अपील की।

सैनिकों के साथ अपनी व्यक्तिगत आत्मीयता को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि एमएलएफ का वर्तमान संस्करण अतिरिक्त रूप से विशेष है, क्योंकि राष्ट्र पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के युद्ध की स्वर्ण जयंती मना रहा है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि मिल्रिटी साहित्य को आम लोगों से जोड़ने को लेकर उनकी खुद की भी रुचि रही है। उन्होंने कहा, मैं चाहता हूं कि हमारी आने वाली पीढ़ियां हमारे देश के इतिहास को, खास तौर पर सीमा क्षेत्र के इतिहास को अच्छी तरह से जानें। इसके लिए रक्षा मंत्री बनने के बाद ही मैंने एक कमेटी का गठन किया। यह हमारे सीमाई इतिहास और इससे जुड़े युद्धों को आसान शब्दों में लोगों तक पहुंचने के लिए काम कर रही है।

उन्होंने कहा कि यह आयोजन इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि बदलते समय में युद्ध के खतरे और इसका चरित्र भी बदला है। भविष्य में सुरक्षा से जुड़े और भी मुद्दे हमारे सामने आ सकते हैं। धीरे-धीरे संघर्ष का दायरा इतना बढ़ गया है, जिसकी पहले कल्पना भी नहीं की गई थी।

–आईएएनएस

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