मुंह से पकड़ी मछली बनती है ‘रोटी’ का जरिया

हमीरपुर, 5 दिसंबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के मेरापुर गांव के मछुआरा सुघर निषाद के करतब को देख आस-पास के लोग हैरान हैं। वह नदी में कूदकर सिर्फ दोनों हाथों में ही नहीं, बल्कि मुंह में दबाकर भी जिंदा मछली पकड़ लेते हैं। यह हुनर उनकी जिंदगी में रोटी कमाने का जरिया है।

बड़े-बड़े मछुआरे नदी में जाल डालकर भी जब मछलियों को पकड़ पाने में नाकाम साबित होते हैं। ऐसी स्थिति में भी सुघर पानी के अंदर जाकर एक बार में तीन मछलियां तक अपने दोनों हाथों और मुंह से पकड़ कर ले आते हैं।

सुघर ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में बताया कि यह कला उसने अपने पिता शिवप्रसाद से सीखी है। उनके यहां मछली बेचने का ही काम होता है।

सुघर ने कहा, “बचपन में जब पिता नदी में मछली पकड़ने जाते थे तो मुझे ले जाते थे। वह भी नदी में हाथों से मछली पकड़ते थे। उनकी यह कला मैंने बड़े ध्यान से सीखी है। ज्यादा पैसे न होने के कारण सुघर ने महज कक्षा पांच तक ही पढ़ाई की है।”

सुघर ने बताया, “यह कोई जादू नहीं है। इसमें सिर्फ ध्यान देना पड़ता है। पानी में देर तक सांस रोके हुए मछली के पीछे जाना पड़ता है। उसके बाद मछली खुद अपने आप पकड़ में आ जाती है। उन्होंने बताया कि मछली पकड़ने के लिए पानी के अंदर मछली की तरह ही चलना पड़ता है।”

निषाद ने बताया कि मछली के ऊपर हाथ रखते ही वह रुक जाती है। इस क्रिया-कलाप के दौरान मछलियों ने सुघर को कभी कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है।

सुघर ने बताया कि वह नहाते समय ही हाथ और मुंह से मछली पकड़ते हैं। यह उनका शौक है। वह लोगों के कहने पर उनकी पसंद की मछलियां भी नदी से निकाल देते हैं।

उन्होंने बताया कि उनकी रोजी-रोटी का यही जरिया है। वह रोज 10 से 15 किलो तक मछलियां पकड़ते हैं, जिससे हजार-दो हजार की कमाई हो जाती है। परिवार बड़ा है, इसीलिए वह ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने की कोशिश करते हैं। तैराकी और गोताखोरी की इस अनोखी प्रतिभा के कारण यमुना नदी में जब कभी कोई डूब जाता है तो प्रशासन के अधिकारी इस युवक की मदद लेते हैं। सुघर कई लोगों की जान बचा चुके हैं।

सुघर के इस अदांज को देखकर लोग बॉलीवुड सुपर स्टार ऋतिक रोशन की फिल्म ‘कृष’ के किरदार कृष्णा से उनकी तुलना करने लगे हैं। लोग बड़े गौर से उसके हुनर को देखने नदी पर जाते हैं। 24 वर्षीय सुघर की इस प्रतिभा की तारीफ करते हुए लोग उसे ‘बुंदेलखंड का फिशरमैन’ उपाधि देने लगे हैं।