महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ‘नो’ ऐप मोबाइल एप्लिकेशन की शुरुआत

पुणे : महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग की चेयरपर्सन, विजया रहाटकर ने ‘नो’ ऐप (NO) का विधिवत शुभारंभ किया। यह ऐप यौन खतरा या उत्पीड़न की आशंका होने पर महिलाओं के लिए एक स्मार्टफोन मोबाइल एप्लिकेषन के रूप में काम करता है। इस ऐप का विकास यौन हिंसा की प्राथमिक रोकथाम के लिए कार्यक्रम (प्रोग्राम फॉर प्राइमरी प्रिवेन्षन ऑफ सेक्सुअल वाइलन्स – पीपीपीएसवी) का एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह कार्यक्रम किंग एडवर्ड मेमोरियल होस्पिटल रिसर्च सेंटर, पुणे; इंस्टिट्युट ऑफ सेक्सोलॉजी ऐंड सेक्सुअल मेडिसिन, चैरिटी, युनिवर्सिटी क्लिनिक ऑफ बर्लिन, बेयर इंडिया और भारत के विषेशज्ञों की एक परामर्षी मंडल की संयुक्त पहल है। इस कार्यक्रम का लक्ष्य भारत में महिलाओं और बच्चों पर होने वाली यौन हिंसा की रोकथाम करना है।

इस अवसर पर महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग की चेयरपर्सन विजया रहाटकर ने कहा कि, “यौन हिंसा हमारे समाज का एक कटु सत्य है। यह कोई एक बार की लिंग विषिश्ट घटना नहीं, बल्कि एक सामाजिक परिघटना है। यौन हिंसा के फलस्वरूप अनेक प्रकार की मनोवैज्ञानिक और मनोदैहिक गड़बड़ी उत्पन्न हो जाती है, और इसलिए इसे संपूर्ण समाज को प्रभावित करने वाली एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में देखा जाना चाहिए। इस संदर्भ में, ‘नो’ ऐप को निवारण के माध्यम से समाज में यौन हिंसा की रोकथाम के उद्देष्य से विकसित किया गया है। मुझे यह जानकार खुषी हुई है कि ‘नो’ ऐप जैसी महत्वपूर्ण पहल इस समस्या का मुकाबला करने में एक सहयोगात्मक प्रयास की दिषा में बढ़ रही है। मुझे बताया गया है कि इसकी प्रोजेक्ट टीम प्रतिसाद और 24X7 कॉल सेंटर के माध्यम से मुम्बई पुलिस के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि यौन खतरा महसूस करने वाले व्यक्तियों से प्राप्त डिस्ट्रेस कॉल्स पर दक्षता और प्रभावपूर्ण ढंग से प्रतिक्रिया करना है। ‘नो’ ऐप सचमुच समय की माँग है।”

डॉ. क्लाउस एम. बीयर, प्रोफेसर, डायरेक्टर, इंस्टिट्युट ऑफ सेक्सोलॉजी ऐंड सेक्सुअल मेडिसिन, चैरिटी – बर्लिन ने पीपीपीएसवी प्रोजेक्ट के उद्दष्यों को समझाते हुए कहा कि, “पीपीपीएसवी का लक्ष्य भारत में चिकित्सा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से यौन हिंसा की प्राथमिक रोकथाम हेतु दृश्टिकोण का विकास करना है। यौन हिंसा की प्राथमिक रोकथाम हेतु कार्यक्रम (पीपीपीएसवी) का एक स्वाभाविक हिस्सा प्राथमिक रोकथाम की नवोन्मेशी रणनीति लागू करना और यौन हिंसा के सदमे से महिलाओं और बच्चों की रक्षा करना है। प्राथमिक रोकथाम का अभिप्राय घटना को वास्तव में होने से रोकना और इस तरह महिलाओं और बच्चों को यौन हिंसा और इसके अनुवर्ती प्रभाव से सुरक्षित रखना है।”
‘नो’ ऐप की कार्यप्रणाली साधारण है जो एक भूअवस्थिति आधारित रिपोर्टिंग सिस्टम के रूप में काम करती है। इसके यूजर द्वारा यौन खतरा या उत्पीड़न का सामना होने पर एक त्राहिमाम कॉल (डिस्ट्रेस कॉल) सक्रिय किया जा सकता है जो निकटतम स्थान में दूसरे यूजर तक पहुँच जाएगा। उस दूसरे यूजर को घटना के स्थान का पता चलता है और ठीक जगर को नैविगेट करके वह सहयोगी बन सकता या सकती है। इस कार्यात्मकता के फलस्वरूप सामाजिक नियंत्रण बढ़ जाता है। ‘नो’ ऐप की खासियत यह है कि यह एक समग्रतापूर्ण नजरिए के साथ काम करता है।

‘नो’ ऐप प्रतिसाद के माध्यम से महाराष्ट्र पुलिस को सहयोग दे रहा है। इस प्रकार, कोई भी डिस्ट्रेस कॉल वास्तविक समय में घटना के स्थान की जानकारी के साथ पुलिस के पास पहुँच जाएगी। इसके बाद पुलिस निकटतम गष्ती अधिकारी को घटनास्थल पर भेज सकेगी। इसके अलावा, एक कॉल सेंटर भी है जो त्राहिमाम कॉल पर त्वरित और कुषल कारवाई करने के लिए 24X7 काम करता है।

इस अवसर पर रिचर्ड वान द मर्व, सीनियर बेयर प्रतिनिधि, दक्षिण एषिया ने कहा कि, “‘नो’ समाज में एक वक्तव्य का पक्षधर है जिसका लक्ष्य पीड़ित के मुँह छिपाने की सार्वजनिक प्रवृत्ति को अपराधी को लांछित करने की दिषा में मोड़ना है। इसका अभिप्राय समस्या के समाधान में समाज को सम्मिलित करना, महिला सुरक्षा में वृद्धि की चाहत रखने वालों को अधिकार संपन्न बनाना और संभावित अपराधी को नियंत्रित करना है। ‘नो’ एक मोबाइल एप्लिकेषन होने से अधिक यौन उत्पीड़न का सामना करते समय यूजर्स को एक-दूसरे को सहयोग करने का सामर्थ्य प्रदान करता है। बेयर के लिए वचनबद्धता महज एक उत्तरदायित्व नहीं, बल्कि सामाजिक पहल लागू करने का मूल मंत्र बन गया है। आज, हमारे सीएसई कार्यक्रम भारत के 15 राज्यों में संचालित हो रहा है जिसके लिए लगभग 150 मिलियन भारतीय रुपये का प्रावधान किया गया है और लगभग 1,35,000 लोगों को इससे फायदा हो रहा है।”