महाराष्ट्र नगर निकाय में नेता प्रतिपक्ष की मांग वाली भाजपा की याचिका खारिज

नई दिल्ली, 16 फरवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि राजनीति में दोस्तों का समीकरण बहुत गतिशील है और कानूनी अधिकार पार्टियों के बीच संबंधों पर निर्भर नहीं हो सकते।

शीर्ष अदालत ने ग्रेटर मुंबई नागरिक निकाय में विपक्ष के नेता (एलओपी) पद की मांग करने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता की याचिका खारिज कर दी। साल 2017 में शिवसेना के साथ गठबंधन के कारण भाजपा ने यह पद अपने पास नहीं रखा था।

न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यन के साथ ही प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, यह राजनीति में एक रोजमर्रा की घटना है। हो सकता है कि आप आज दोस्त हैं और कल दोस्त न रहें। कानूनी अधिकार पार्टियों के बीच संबंध पर निर्भर नहीं कर सकते।

सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि इस आधार पर विपक्ष के नेता के पद के लिए दावा नहीं किया जा सकता है, इसलिए याचिका को खारिज कर दिया गया।

भाजपा पार्षद प्रभाकर तुकाराम शिंदे का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी शिवसेना के साथ गठबंधन करने वाली कांग्रेस को एलओपी पद नहीं मिलना चाहिए।

हालांकि पीठ ने इस दलील को नहीं माना और याचिका खारिज कर दी। नतीजतन, ग्रेटर मुंबई नगर निगम में राज्य स्तर पर शिवसेना के साथ गठबंधन के होने के बावजूद विपक्ष के रूप में कांग्रेस ही काबिज रहेगी।

दरअसल, भाजपा नेता की ओर से यह दलील दी जा रही थी कि शिवसेना के साथ भाजपा का पहले करार था, जो अब नहीं है। इसलिए विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते, भाजपा को संवैधानिक रूप से नेता प्रतिपक्ष का पद मिलना चाहिए।

दलील दी गई थी कि सत्ताधारी गठबंधन में शामिल होने के बावजूद कांग्रेस पार्टी ने विपक्ष के नेता के पद पर कब्जा किया हुआ है। भाजपा नेता ने अपनी याचिका में कहा था कि उन्हें विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता देने का निर्देश दिया जाना चाहिए।

नगर निगम में शिवसेना के 84 पार्षद, भाजपा के 82, कांग्रेस के 31, राकांपा के नौ, मनसे के सात और सपा के छह पार्षद हैं।

बता दें कि 2017 के नगरपालिका चुनाव में भाजपा को 82 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस को 31 सीटों पर जीत मिली थी।

–आईएएनएस

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