महँगा है, तब भी लेना तो है, सोने जैसा पीला…यह मीठा सोना

उत्पादन कम होने से अलफांजो आम महँगा

रत्नागिरी : पुणे समाचार

गर्मी आ गई कहते-कहते बरसात हो गई हो तब भी महाराष्ट्र में गुढ़ी पाड़वा के नाम से जानी जाती चैत्र प्रतिपदा पर आम का खास महत्व होता है। लेकिन इस बार इस मुहूर्त पर वाशी सहित पुणे के बाज़ार में भी आम की कमी देखी गई। उत्पादन कम होने से आम की कीमत भी सोने के टक्कर की है। भोग चढ़ाने के लिए आम खरीदने वालों को पुणे में केवल एक आम खरीदने के डेढ़ सौ से दो सौ रुपए देने पड़े।

पाड़वे के एक दिन पहले वाशी में बीस हज़ार पेटी आम आया था। सरकारी छुट्टी होने से आम बगीचों के मालिकों ने रविवार को आम भेजे। लेकिन यह आवक हर साल इस दिन होने वाली आवक का पचास प्रतिशत ही बताई जा रही है।

‘सही मुहूर्त पर आम मिल सकें इसलिए कई बगीचे वाले एक ही समय सारा आम भेजते हैं। आवक बढ़ जाए तो दर कम हो जाती है। ‘
प्रसन्न पेठे, बगीचेवाले

गुढ़ी पाड़वा को साड़े तीन शुभ मुहूर्तों में से एक समझा जाता है। आम बगीचों के मालिकों ने पंद्रह साल पहले से इस मुहूर्त को आम भेजना शुरू किया और उसके बाद ही बाज़ार में आम का मौसम आने लगा। लेकिन बढ़ती प्रतियोगिता और आम जल्दी भेजने से ज़्यादा कीमत मिलती है, इस विचार ने आम की आवक फरवरी में प्रारंभ करवा दी। मौसम में होने वाला बदलाव भी इसकी एक वजह है हालाँकि इस बार ऐसा न हो सका है।

”रविवार को छुट्टी होने से माल कम आया। सोमवार को आवक बढ़ सकती है। लेकिन बीते साल की तुलना में आवक पचास प्रतिशत तक कम हुई है। दक्षिण भारत से आना वाला आम भी इस बार अधिक नहीं आया है, जिसका लाभ अलफांजो (हापुस) को मिला है।”
-संजय पानसरे, वाशी

कहा जा रहा है कि बीते पंद्रह सालों में ऐसा पहली बार हुआ है कि पाड़वा के मुहूर्त पर आम की कमी देखी गई हो। फरवरी में इस साल पच्चीस प्रतिशत ही आम आए थे। बीते साल की तुलना में इस साल मार्च में आवक पचास प्रतिशत ही हुई है। इस वजह से जब आम का मौसम शुरू हुआ तब जो भाव था वही आज भी कायम है। वाशी के साथ आम का बड़ा बाज़ार पुणे में है। लेकिन पुणे में भी ग्राहकों को अभी आम के बहुत दाम देने पड़ रहे हैं। एक दर्जन आम की कीमत 1800 से दो हज़ार रुपए तक बताई जा रही है। चार से छह दर्जन पेटियों की कीमत चार से छह हज़ार रुपए तक है। व्यापारियों का कहना है एक नग आम डेढ़ सौ से दो सौ रुपए में मिल रहा है।