मप्र में संबल योजना में घोटाला, एफआईआर की तैयारी

भोपाल, 11 नवंबर (आईएएनएस) । मध्य प्रदेश में भाजपा के शासनकाल में अस्तित्व में आई संबल योजना में 71 लाख से अधिक अपात्र लाभार्थियों का खुलासा हुआ है। इस मामले में राज्य सरकार घोटाले में शामिल लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने जा रही है।

मध्यप्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग की अध्यक्षा शोभा ओझा ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा, “पिछली भाजपा सरकार द्वारा प्रारंभ की गई संबल योजना में भ्रष्टाचार हुआ है। इस योजना के लगभग दो करोड़ लाभार्थियों में से 71 लाख अपात्रों के नाम हैं।”

ओझा ने सरकार की कार्रवाई की पुष्टि करते हुए कहा, “अपात्र नामों को काटने के साथ ही, घोटालेबाजों पर एफआईआर दर्ज कराने का प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया है।”

ओझा ने आगे कहा, “पिछली शिवराज सरकार द्वारा जनहित के नाम पर प्रारंभ की गई संबल योजना का लाभ, वास्तविक पात्रों की अपेक्षा लाखों की संख्या में, उन चहेतों और भाजपा कार्यकर्ताओं को दे दिया गया, जो न केवल अपात्र थे, बल्कि उनमें से कई तो आयकर दाता भी थे।”

ओझा ने कहा, “प्रदेश के लाखों करदाताओं के पैसे से ऐसे लोगों को लाभान्वित किया गया, जो पहले से ही आर्थिक रूप से सक्षम थे और जिन्हें किसी सहायता की आवश्यकता नहीं थी। लेकिन भाजपा के चहेते होने के कारण उन्हें गरीबों के हक के पैसों का बलात् गबन करने दिया गया।”

राज्य में कमलनाथ सरकार द्वारा कई मामलों की जांच का हवाला देते हुए ओझा ने कहा, “पिछली भाजपा सरकार के द्वारा किए गए सभी घोटालों की एक के बाद एक जांच शुरू कर, कमलनाथ सरकार ने यह सिद्घ कर दिया है कि जनता के पैसों की बंदरबांट और संगठित लूट के वह सख्त खिलाफ हैं और संबल योजना के घोटालेबाजों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की बात कहने के साथ ही सरकार का यह कथन भी स्वागत योग्य है कि यदि जरूरत पड़ी तो अपात्रों को जारी की गई उस रकम को भी वसूला जाएगा, जिसके वास्तविक हकदार प्रदेश के मेहनतकश गरीब, मजलूम और मजदूर थे।”

इस बीच, शिवराज सिंह चौहान ने राज्य की कमलनाथ सरकार पर आरोप लगाया है कि वह गरीबों को फायदा नहीं देना चाहती, इसलिए घोटाले का आरोप लगा रही है। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने गरीबों का गलाघोंट दिया है।

ज्ञात हो कि पूर्ववर्ती शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने राज्य के गरीब परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के मकसद से संबल योजना को अमल में लाया था। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान अपने वचन पत्र में वादा किया था कि सत्ता में आने पर इसकी जांच कराई जाएगी।