मप्र में भाजपा को बड़ा झटका, 2 विधायकों का कांग्रेस को समर्थन (राउंडअप)

 भोपाल, 24 जुलाई (आईएएनएस)| कर्नाटक में कुमारस्वामी की सरकार गिराने के बाद से मध्य प्रदेश में वैसा ही कुछ करने का इरादा रखने वाली भारतीय जनता पार्टी को बुधवार को बड़ा झटका लगा।

 विधानसभा में कराए गए मत विभाजन में भाजपा के दो विधायकों ने विधेयक को पास कराने में सरकार का साथ दिया। कांग्रेस का दावा है कि भाजपा के कई और विधायक उसके संपर्क में हैं। विधानसभा में बुधवार को दंड विधि संशोधन विधेयक पेश किया गया, जिस पर चर्चा के दौरान बहुजन समाज पार्टी के विधायक संजू कुशवाहा ने मत विभाजन की मांग रखी। इस दौराना सत्ता और विपक्ष के सदस्यों के बीच जमकर बहस हुई।

विधानसभा अध्यक्ष एऩ पी़ प्रजापति ने विधायक कुशवाहा की मांग पर मत विभाजन कराया तो विधेयक के पक्ष में 122 विधायकों ने मतदान किया। इसमें भाजपा के दो विधायक भी शामिल हैं जिन्होंने कमलनाथ सरकार के विधेयक के पक्ष में मतदान किया।

कांग्रेस का दावा है कि मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी और ब्योहारी से विधायक शरद कोल ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया है। त्रिपाठी ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि भाजपा में उनकी उपेक्षा हुई है।

मुख्यमंत्री कमलनाथ का कहना है, “भाजपा पिछले छह माह से रोज कहती रही कि हमारी सरकार अल्पमत की सरकार है। इस पर हमने सोच लिया कि हम बहुमत सिद्ध कर देंगे ताकि दूध का दूध और पानी का पानी अलग हो जाए। आज हुआ मतदान एक विधेयक पर मतदान नहीं है यह बहुमत सिद्ध होने का मतदान है।”

वहीं भाजपा के विधायक नरोत्तम मिश्रा का कहना है, “खेल कांग्रेस ने शुरू किया है, खत्म हम करेंगे।” मिश्रा के इस बयान से राजनीतिक गलियारों में अंदाजा लगाया जा रहा है कि भाजपा भी कांग्रेस के विधायकों को तोड़ सकती है।

सरकार के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि अभी तो दो विधायकों ने साथ दिया है भाजपा के कई और विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं।

बसपा विधायक राम बाई ने मुख्यमंत्री कमलनाथ की सराहना करते हुए कहा कि कमलनाथ की सरकार अडिग है।

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सुबह ही सरकार को चेतावनी दी थी और कहा था कि उन्हें विधायकों की खरीद फरोख्त जैसे कार्यों पर विश्वास नहीं है, लेकिन ऊपर से नंबर एक और दो का आदेश हुआ तो इस काम में एक दिन भी नहीं लगेगा।

इस पर विधानसभा में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ध्यानाकर्षण पर चर्चा के दौरान विपक्ष को बहुमत परीक्षण की चुनौती देते हुए कहा था, विपक्ष चाहे तो कभी भी बहुमत का परीक्षण कर ले, हम आज ही इसके लिए तैयार हैं, यहां कोई विधायक बिकाऊ नहीं है। कांग्रेस की सरकार पूरे पांच साल चलेगी और दम के साथ चलेगी। विकास का एक ऐसा नक्शा बनेगा जो हर वर्ग के लिए खुशहाली लाने वाला होगा।

कांग्रेस की मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा का कहना कि भाजपा को अब समझ लेना चाहिए कि कांग्रेस सरकार को गिराने की मंशा सिर्फ खयाली पुलाव है। दंड विधि संशोधन विधेयक पारित होने से यह साबित हो गया है कि कमलनाथ सरकार का किला कितना अभेद्य है। मत विभाजन में कांग्रेस के विधेयक के समर्थन में 122 विधायकों ने मतदान किया।

कुल 230 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं। उसे चार निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा के विधायक का समर्थन हासिल है। इस तरह कांग्रेस को कुल 121 विधायकों का समर्थन हासिल है। वहीं भाजपा के पास 108 विधायक हैं।

गौरतलब है कि पूर्व में भी भाजपा के कई नेता राज्य सरकार को गिराने में ज्यादा समय न लगने का दावा कर चुके हैं। इन बयानों के बीच कमलनाथ ने हर बार यही कहा कि राज्य में कांग्रेस की सरकार को कोई खतरा नहीं है और वह पूरे पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा करेगी।