किसान गणतंत्र परेड के दौरान हुई हिंसा को लेकर किसान नेता भी दुखी हैं। भारतीय किसान यूनियन के जनरल सेक्रेटरी और पंजाब के किसान नेता परमिंदर सिंह पाल माजरा ने कहा लाल किला में जो हुड़दंग मचाया गया उसके लिए हम सभी लोग दुखी हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग इसमें शामिल थे, वो किसानों के हितैषी नहीं हैं। हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण था और आगे भी रहेगा लेकिन कुछ उपद्रवियों ने उस में घुसकर आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश की। इससे दुखी होकर हमने फिलहाल आंदोलन तेज करने के सभी कार्यक्रमों को रोक दिया है। लेकिन सरकार की कार्रवाई के बावजूद ये आंदोलन टूटेगा नहीं, किसान अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करते रहेंगे।
किसान आंदोलन गुरुवार को 64वें दिन जारी है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएगी, तब तक उनका आंदोलन चलता रहेगा।
हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा ने एक फरवरी के लिए निर्धारित संसद मार्च को स्थगित करने का फैसला लिया है। मोर्चा के नेता डॉ दर्शन पाल ने बुधवार की बैठक के बाद कहा कि 30 जनवरी को गांधीजी के शहादत दिवस पर, शांति और अहिंसा पर जोर देने के लिए, पूरे देश में एक दिन का उपवास रखा जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान में कहा कि पिछले 7 महीनों से चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन को बदनाम करने की साजिश अब जनता के सामने उजागर हो चुकी है। कुछ व्यक्तियों और संगठनों (मुख्य तौर पर दीप सिद्धु और सतनाम सिंह पन्नू की अगुवाई में किसान मजदूर संघर्ष कमेटी) के सहारे, सरकार ने इस आंदोलन को हिंसक बनाया। मोर्चा के नेता ने कहा कि हम फिर से स्पष्ट करते हैं कि हम लाल किले और दिल्ली के अन्य हिस्सों में हुई हिंसक कार्रवाइयों से हमारा कोई संबंध नहीं है। हम उन गतिविधियों की कड़ी निंदा करते हैं।
यूनियनों के नेताओं ने कहा कि किसानों की परेड मुख्य रूप से शांतिपूर्ण और तय मार्ग पर करने की सहमति बनी थी। हम राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान की कड़ी निंदा करते हैं, लेकिन किसानों के आंदोलन को हिंसक के रूप में चित्रित नहीं किया जा सकता, क्योंकि हिंसा कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा की गई थी, जो हमारे साथ जुड़े नहीं हैं। सभी सीमाओं पर किसान शांतिपूर्ण तरीके से अपनी-अपनी परेड पूरी कर अपने मूल स्थान पर पहुंच गए थे।
–आईएएनएस
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