भूमि-अधिग्रहण बना दिल्ली मेट्रो के तीसरे चरण परियोजना में बाधक

नई दिल्ली, 20 मई (आईएएनएस)| दिल्ली मेट्रो के तीसरे चरण की परियोजना की राह में जमीन अधिग्रहण और अनापत्ति प्रमाण प्रत्र मिलने में हो रही देरी समेत कई अप्रत्याशित अड़चनें हैं जिसके कारण देश की राजधानी के इस आधुनिक परिवहन तंत्र के विस्तार की रफ्तार थम गई है।

दिल्ली मेट्रो के तीसरे चरण की परियोजना मई 2011 में शुरू होने वाली थी, लेकिन निर्माण कार्य जनवरी 2012 में आरंभ हुआ और एक छोटा खंड अब तक पूरा नहीं हो पाया है। उम्मीद की जा रही है कि इस साल के आखिर तक इसका काम पूरा होगा।

हालांकि दिल्ली मेट्रो के पहले चरण में जमीन अधिग्रहण को लेकर कोई समस्या नहीं आई और काम सुचारु ढंग से पूरा हुआ।

दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) के कार्यकारी निदेशक अनुज दयाल ने कहा कि तीसरे चरण में जमीन अधिग्रहण की एक बड़ी चुनौती है क्योंकि इस चरण के दौरान नया भूमि अधिग्रहण कानून लागू हो गया जिसके कारण जमीन अधिग्रहण का कार्य काफी मुश्किल हो गया है।

उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत जमीन की कीमत काफी बढ़ गई है।

उन्होंने कहा, “शुरुआती चरणों में भूमि अधिग्रहण कानून-1894 के तहत राज्य सरकार और न्यायिक मदद से डीएमआरसी समुचित ढंग से आवश्यक जमीन का अधिग्रहण कर पाई। अब डीएमआरसी को तीसरे चरण में भूस्वामियों के साथ सीधे बातचीत के जरिए तीसरे चरण में जमीन अधिग्रहण करना पड़ रहा है जोकि मुश्किल और समय लगने वाली प्रक्रिया है।”

दयाल ने कहा कि जमीन अधिग्रहण की समस्याओं के कारण अक्सर दिल्ली मेट्रो के काम में विलंब हुआ है, लेकिन डीएमआरसी की टीम हमेशा इस दिशा में कड़ी मेहनत कर रही है ताकि काम में हुए विलंब की भरपाई हो सके और तय समय पर परियोजना पूरी हो।

आरंभ में तीसरे चरण में 103 किलोमीटर मेट्रो लाइन की परियोजना थी, लेकिन बाद में धीरे-धीरे बहादुरगढ़, गाजियाबाद, नोएडा, बल्लभगढ़ व अन्य क्षेत्रों समेत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में इसका विस्तार होता चला गया, जिससे पूरी परियोजना की लंबाई 160 किलोमीटर हो गई।