भारत ने कोविड के 7 हजार वेरिएंट में 24 हजार से अधिक म्यूटेशन का पता लगाया (आईएएनस एक्सक्लूसिव)

नई दिल्ली, 23 फरवरी (आईएएनएस)। भारत में जेनेटिक डायग्नोस्टिक प्रयोगशालाओं ने पिछले एक साल में सार्स-कोव-2 के 24,000 से अधिक म्यूटेशन का पता लगाया है। शीर्ष अधिकारियों ने मंगलवार को आईएएनएस को यह बताया।

अधिकारियों ने कहा कि कोरोनोवायरस के लगभग 7,000 वेरिएंट में म्यूटेशन का पता चला है जो देश में सर्कुलेशन में हैं।

कोविड-19 के नेशनल टास्क फोर्स के एक प्रमुख सदस्य ने कहा, हमने वायरस के 7,000 वेरिएंट में 24,300 म्यूटेशन का पता लगाया है।

इस जानकारी की प्रयोगशालाओं में काम करने वाले संपर्कों द्वारा भी पुष्टि की गई थी, जो पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा स्थापित भारतीय सार्स-कोव-2 जीनोमिक कंसोर्टिया (इंसाकोग) का हिस्सा हैं, जो ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और दुनिया के कुछ अन्य हिस्सों में एक नए पहचाने गए वेरिएंट के उद्भव से संबंधित है।

इंसाकोग 10 लैबों का एक कंसोर्टियम है। केंद्र द्वारा संचालित नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल कंसोर्टियम की एजेंसी है।

दिल्ली स्थित एनसीडीसी लैब के निदेशक सुजीत कुमार सिंह ने भी आईएएनएस से पुष्टि की है कि वायरस में 24,000 से अधिक म्यूटेशन भारत में दर्ज किए गए हैं। उन्होंने कहा, हमने 6,000 से अधिक वेरिएंट में इन म्यूटेशन को पाया है और इसे एक इंटरनेशनल कंसोर्टियम में पेश किया है, जो भौगोलिक स्थानों में फैले वायरस के रुझानों के पूवार्नुमान और विश्लेषण के लिए डेटा एकत्र करता है।

कोविड-19 के दैनिक संक्रमण में वृद्धि के बाद से कोविड के कई स्ट्रेन को इसके पीछे जिम्मेदार माना जा रहा है। जबकि केरल और महाराष्ट्र में मामलों की वृद्धि जारी है, और पंजाब, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भी संक्रमण में वृद्धि देखी जा रही है।

हालांकि, सिंह ने कहा कि अब तक कोई सबूत ये नहीं बताता है कि देश में म्यूटेशन ने प्रभावी संचरण को प्रेरित किया है। उन्होंने कहा, अब तक, कुछ राज्यों में रिपोर्ट किए गए मामलों की संख्या में वेरिएंट और मामलों की वृद्धि के बीच कोई संबंध स्थापित नहीं किया गया है। यह अभी भी जांच के दायरे में है।

सिंह ने कहा कि वायरस में 2 लाख से अधिक म्यूटेशन विश्व स्तर पर दर्ज किए गए हैं। लेकिन क्या सभी म्यूटेशन मामले की संख्या बढ़ाते हैं? म्यूटेशन एक रोगजनक में विकास की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। यह तभी प्रासंगिक है जब यह बीमारी फैलाने के लिए प्रवृत्ति में बदलाव के लिए प्रेरित करता है।

हाल ही में, काउंसिल फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च – सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी ने एक अध्ययन जारी किया था जिसमें कहा गया था कि एन440 के, एक नया कोविड-19 वेरिएंट दक्षिणी राज्यों में बहुत अधिक फैल रहा है।

वैज्ञानिकों ने 5,000 से अधिक कोरोनोवायरस वेरिएंट के विश्लेषण के अपने निष्कर्ष और वे महामारी के दौरान कैसे विकसित हुए, इस बारे में जानकारी पेश किए।

–आईएएनएस

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