‘भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में समाहित है बहुलवाद’

 नई दिल्ली, 20 मार्च (आईएएनएस)| भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में बहुलवाद का विचार गहराई से समाहित है। यह कहना है जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) के संस्थापक कुलपति और अंतर्राष्ट्रीय उच्च शिक्षा, अनुसंधान व क्षमता निर्माण संस्थान के निदेशक सी. राजकुमार का।

  उन्होंने यह बात मंगलवार को जेजीयू द्वारा भारत में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार पर एक रिपोर्ट जारी करने के मौके पर कही।

‘डायवर्सिटी एंड इन्क्लूजन : बिल्डिंग ए डायवर्स, इक्विटेबल एंड ग्लोबल यूनिवर्सिटी’ नामक रिपोर्ट में जेजीयू ने 16 संकेतकों के आधार पर अपनी प्रगति पर प्रकाश डाला है। इन संकेतकों में राष्ट्रीय मूल, राज्य मूल, लिंग समानता, उम्र, धर्म और जाति, शिक्षा व पेशेवर पृष्ठभूमि, अशक्तता, अकादमिक दान व अंतर्विधा, शिक्षणशास्त्र, अनुसंधान व विधायी विविधता शामिल हैं।

अन्य संकेतकों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और साझेदारी, व्यवस्था व नेतृत्व, छात्रों का वित्तीय समावेशन, समावेशी शिक्षण व अधिगम, लिंग पहचान और यौन अनुकूलन व सामुदायिक संपर्क व भागीदारी शामिल हैं।

राजकुमार ने कहा, “भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में बहुलवाद का विचार गहराई से समाहित है।”

उन्होंने कहा, “सभी संस्थानों व संगठनों को सहज रूप से संवभतया उस समुदाय के प्रतिनिधि के रूप में बनने की जरूरत है, जिस समाज में वह स्थित होते हैं। उच्च शिक्षा संस्थानों पर ऐसे प्रतिनिधित्व के लिए कहीं अधिक जिम्मेदारी होती है, क्योंकि उसका मिशन व उद्देश्य सार्वजनिक होता है और वे बड़े सामाजिक लक्ष्यों को हासिल करने को प्रतिबद्ध होते हैं।”