रविवार को अंतिम संस्कार किया गया।
ओंकारनाथ 79 साल के थे। 20 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद से वह सर सुंदरलाल अस्पताल में वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे।
प्रो. श्रीवास्तव भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में एक दिग्गज होने के साथ ही भारत और दक्षिण एशिया के लिए इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ हाइड्रोजन एनर्जी के उपाध्यक्ष भी थे।
कॉर्नेल विश्वविद्यालय, यूएसए में अपने पोस्ट-डॉक्टरल शोध करने के बाद वह बीएचयू में लैक्चरर के रूप में अपना करियर शुरू करने के लिए भारत आए थे, जहां उन्होंने एक पाठक, प्रोफेसर, भौतिकी विभाग के प्रमुख और एडवांस सेंटर के समन्वयक के रूप में कार्य किया।
उन्होंने हाइड्रोजन ऊर्जा, नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी, नैनोमीटर, कार्बन नैनोट्यूब, कार्बन नैनोफिबर्स, उच्च शक्ति सुपरकंडक्टर्स, कोलोसल मैग्नेटो प्रतिरोध और क्वासिक क्रिस्टल पर खास जोर देने के साथ नवीकरणीय ऊर्जा में भी शोध किया।
सेवानिवृत्ति के बाद, उन्होंने विश्वविद्यालय में प्रोफेसर एमेरिटस और विश्वविद्यालय के संघनित पदार्थ प्रयोग अनुसंधान कार्यक्रम के एक सहयोगी संकाय सदस्य के रूप में विश्वविद्यालय के साथ सहयोग जारी रखा।
वह वल्र्ड एकेडमी ऑफ मटीरियल्स और इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ हाइड्रोजन एनर्जी (2001) के निदेशक मंडल में थे।
उन्होंने दो पुस्तकों और 440 से ज्यादा वैज्ञानिक पत्र लिखे थे।
–आईएएनएस
एसएस/एएसएन