बजट सत्र के दूसरे दिन सदनों की कार्यवाही हुई स्थगित

पुणे समाचार-

मुंबई : बजट सत्र के दूसरे दिन हंगामे से दोनों सदनों की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गयी है।

विधानमंडल बजट सत्र के दूसरे दिन मराठी व किसान कर्जमाफी के मुद्दे पर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। जिसके चलते दोनों सदनों की कार्यवाही कुछ घंटों के कामकाज के बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। मंगलवार को विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखेपाटील ने कर्जमाफी पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव लाए जाने की मांग की थी। जिसे अध्यक्ष ने अस्वीकार कर दिया। इससे नाराज विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया।
उन्होंने मंत्रालय में जहर पीकर आत्महत्या करने वाले किसान धर्मा पाटील का पोस्टर भी लहराया और उसे अध्यक्ष के आसन के सामने लगा दिया। हंगामे के कारण पहले तीन बार के स्थगन के बाद कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। उधर विधान परिषद में भी विपक्षी सदस्यों के वेल में आकर शोरशराबा करने से सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई। सदन में विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे ने कार्य स्थगन प्रस्ताव के जरिए किसान कर्जमाफी का मुद्दा उठाया था।
मराठी भाषा गौरव दिन के मौके पर मंगलवार को विधानभवन परिसर में कवि सुरेश भट द्वारा रचित मराठी अभिमान गीत का सामूहिक गान भी किया गया। इस दौरान लाउडस्पीकर में खराबी आ गई। जिसे बाद में विपक्ष ने सदन में मुद्दा बना लिया। विपक्ष ने सरकार पर उक्त गीत की कुछ पंक्तियां भी निकालने का आरोप लगाया। वहीं मुख्यमंत्री ने कहा कि संबंधित पंक्तियां मूल कविता में हैं ही नहीं। इस मुद्दे पर हंगामे से कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी। राकांपा के अजित पवार ने कहा कि सोमवार को राज्यपाल सी. विद्यासागर राव का अभिभाषण मराठी में सुनने को नहीं मिला और मंगलवार को गीत गायन के समय लाउडस्पीकर बंद हो गया। कविता की पंक्तियां हटा दी गईं। सरकार का कामकाज ठीक नहीं चल रहा है। इसके लिए सरकार को माफी मांगनी चाहिए।
वहीं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि विपक्ष जिन पंक्तियों की बात कर रहा है वे मूल कविता का हिस्सा नहीं हैं। उन्हें पिछली सरकार के कार्यकाल में जोड़ा गया था। शिक्षामंत्री विनोद तावड़े ने भी कहा कि सुरेश भट की मूल कविता में उक्त पंक्तियां नहीं हैं। उन्होंने बाद में एक कार्यक्रम के दौरान और लाइनें गाई थीं। इस मुद्दे पर हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी।राज्य सरकार सभी माध्यम व बोर्ड के स्कूलों में कक्षा 10वीं या 12वीं तक मराठी विषय अनिवार्य करने पर विचार कर रही है। शिक्षामंत्री विनोद तावड़े ने मंगलवार को विधानसभा में यह बात कही। उन्होंने कहा कि इस बाबत जल्द ही फैसला ले लिया जाएगा। हालांकि तावड़े ने कहा कि इसके लिए विधानसभा में कानून बनाने की बजाय महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को फैसले का अधिकार दिया जाना चाहिए।
दरअसल राकांपा नेता अजित पवार ने मराठी भाषा गौरव दिन के मौके पर 10वीं कक्षा तक सभी बोर्ड के स्कूलों में मराठी को अनिवार्य किए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार को इस संबंध में तुरंत फैसला लेकर आगामी सत्र से इसे लागू कर देना चाहिए। तावड़े ने इसी पर जवाब देते हुए उक्त बात कही। उल्लेखनीय है कि फिलहाल महाराष्ट्र राज्य शिक्षा बोर्ड के स्कूलों में 10वीं कक्षा तक मराठी अनिवार्य विषय है, लेकिन दूसरे शिक्षा बोर्ड के लिए यह वैकल्पिक है।