फायर सेफ्टी होता तो बच सकती थी दो मासूमों की जान

पुणे : पुणे समाचार

पुणे के शिवाजीनगर इलाके में प्रिंटिंग प्रेस में आग लगने की घटना घटी, इस घटना में दो लोगों की आग में झुलसकर मौत हो गई. प्रिंटिंग प्रेस में किसी भी तरह की आग से संबंधित सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध नहीं थे और साथ ही फायर एक्जिट भी मौजूद नहीं था. बिल्डिंग में पोटमला (लॉफ्ट) बनाने की अनुमति नहीं होने के बावजूद बनाया गया था. इस आग की घटना में फायर सेफ्टी के उपकरण भी उपलब्ध नहीं थे. आग लगने के बाद भागने के लिए कोई भी रास्ता नहीं मिलने की वजह से दो मासूमों की आग में झुलसकर मौत हो गई. प्रिटिंग प्रेस में फर्नीचर का नूतनीकरण का काम चल रहा था. दोपहर में ऑफिस का काम चलने की वजह से फर्नीचर का काम रात में किया जाता था. 12 से 1 बजे के दौरान काम करने के बाद दोनों कामगार पोटमला में ही सो गए थे, आग लगने के बाद दोनों ने बचाओ बचाओ के लिए काफी पुकारा था लेकिन उनको बचाने में काफी देरी हो सकी थी.

पुणे में दो से तीन महीने पहले ही अपना और परिवार का जीवननिर्वाह करने के उद्देश्य से राजस्थान से आए हुए थे, राजस्थान में पेट भरने के लिए कोई व्यवस्था नहीं होने की वजह से अपने परिवार को राजस्थान छोड़कर पुणे में फर्नीचर बनाने का काम करने के लिए आए थे. इस घटना में लक्ष्मणराम उमाराम सुतार (उम्र 33) और नरपदसिंह यशवंतसिंह राजपूत की भीषण आग की घटना में बुरी तरह झुलसकर मौत हो गई. हिमालय इंडस्ट्रीयल इस्टेट, शिवाजीनगर में आग लगने की घटना घटी. फूड पैकिंग नामक प्रिंटिंग प्रेस में मिठाई का बॉक्स बनाने का कारखाना था, इस आग में आसपास की चार दुकानों में भी आग लगी. आग लगने की वजह से 75 लाख से ज्यादा का नुकसान भी हुआ है. इस घटना में पांच प्रिटिंग प्रेस मशीन, मेकिंग मशीन, 6 कम्प्युटर, पेपर और  पूरा फर्नीचर आदि जलकर पूरी तरह खाक हो गया है. यह प्रिंटिग प्रेस सुनील हेमराज भंडारी (उम्र 59) का था. उनके कारखाने में

दोनों कामगार रात को काम करने के बाद खाना खाकर सो गए थे, रात को करीबन 2 बजे के करीब आग लगने की घटना घटी. पेपर और कागज का सामान होने की वजह से आग ने बहुत जल्द रौद्र रुप धारण कर लिया था. कारखाने के अंदर का सामान धीरे धीरे आग की चपेट में आने लगे थे और आग पोटमला तक पहुंच गई थी. जिस रास्ते से दोनों कामगार ऊपर कमरे की तरफ गए थे, वो सीढ़ी भी जलकर खाक हो गई थी और सभी खिड़कियों में ग्रील लगी होने की वजह से खिड़की से बाहर निकलने का भी रास्ता पूरी तरह पैक हो चुका था. जिसकी वजह से दोनों कामगार की दर्दनाक मौत हो गई थी. दोनों की लाश बुरी तरह जल चुकी थी, दोनों की लाश को ससून हॉस्पिटल में भेज दिया गया है.

घटना की जानकारी मिलते ही अग्निशामक विभाग की 7 से 8 गाड़ियां घटनास्थल पर मौजूद थी, 6 से 7 घंटे के अथक प्रयासों के चलते आग को बुझाया गया. सेंट्रल, कसबा, एरंडवणा, कोथरुड, नायडू और औंध अग्निशामक विभाग की गाड़ियां घटनास्थल पर मौजूद थी, साथ ही एक पानी का टैंकर भी उपलब्ध था. अग्निशामक विभाग द्वारा दी गई जानकारी अनुसार फायर सेफ्टी की कोई खास व्यवस्था नहीं की गई थी. पोटमला में भी जाने के लिए बहुत ही छोटा रास्ता उपलब्ध था. ज्यादातर पोटमला बनाने की अनुमति नहीं होती है, फिर भी यह पोटमला बनाया गया था. इस कारखाने में ज्यादातर कागज के सामने उपलब्ध थे, जिसकी वजह से आग बहुत तेजी के साथ लगी. आग लगने की वजह अबतक पता नहीं चल सकी है.

जिस स्थान में दोनों कामगारों की मौत हुई, वहां पर एक सिलेंडर और एक सिगडी भी मौजूद थी. सिगडी के ऊपर तवा रखा हुआ था, जिसमें रोटी रखी हुई थी, सिलेंडर लीकेज अवस्था में पाया गया, पर आग बुझाने के दौरान पानी की वजह से सिलेंडर ब्लास्ट नहीं हुआ, अगर सिलेंडर ब्लास्ट हो जाता तो आसपास रहनेवाले भी इस घटना की चपेट में आने की संभावनाएं थी.