प्रतिबंधों के बावजूद बिक रहा चीनी मांझा

 नई दिल्ली, 18 अगस्त (आईएएनएस)| पतंग उड़ाने के लिए प्रयोग में लाए जाने वाला चीनी मांझा राष्ट्रीय राजधानी में प्रतिबंधित है लेकिन यह हर मुहल्ले की दुकानों पर आसानी से उपलब्ध है।

 स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आमतौर पर लोग खूब पतंगबाजी करते हैं। इस बार 15 अगस्त के मौके पर इस मांझे के इस्तेमाल से 17 लोगों के घायल होने के मामले सामने आए हैं।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने वर्ष 2016 में चीनी मांझे पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह कांच के छोटे टुकड़ों से लेपित होता है जो अक्सर घातक कटौती का कारण बनता है।

पतंग उड़ाने के लिए अदालत ने सिर्फ सूती धागे व प्राकृतिक फाइबर वाले धागों की अनुमति प्रदान की है।

चीनी मांझा नायलॉन और सिंथेटिक धागे से बनता है। इसे कांच और धातु के साथ प्रयोग में लाकर इसे और तेज किया जाता है।

सूती धागे की तुलना में यह टूटता नहीं है, बल्कि ऐसी कोशिश करने के चलते हाथ काट देता है। चीनी मांझे की डोर बिजली की संवाहक होती है, जो तुरंत इसे अपने से पास होने देती है।

प्रतिबंध का उल्लंघन करने पर पांच साल की कैद या एक साल का जुर्माना या फिर दोनों ही लग सकता है।

दिल्ली पुलिस के कुछ अधिकारियों ने दावा किया कि कई क्षेत्रों में मांझा अभी भी बेचा जा रहा है। इनमें पटेल नगर, विकासपुरी, जनकपुरी, मायापुरी, शादीपुर, तिलकनगर, नरेला, अलीपुर, मुंडका, भवाना, कंझावला, किराड़ी, बेगमपुर, प्रेम नगर, मंगोलपुरी और सुल्तानपुरी शामिल हैं।

ज्यादतर यह डोर पश्चिमी उत्तरप्रदेश के बरेली जैसे शहरों से यहां लाए जाते हैं क्योंकि वहां उन पर प्रतिबंध नहीं है।