पीएमके नेता चाहते हैं कि तमिलनाडु की पाठ्यपुस्तकों में जाति के उपनाम जारी रहें

चेन्नई, 6 अगस्त (आईएएनएस)। पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) के संस्थापक एस. रामदास ने गुरुवार को कहा कि तमिलनाडु में स्कूली पाठ्यपुस्तकों से उपलब्धि हासिल करने वालों के नाम हटाने का कोई मतलब नहीं है। तमिल पाठ्यपुस्तकों में प्रख्यात विद्वानों के जाति नामों का उल्लेख करना है।

पीएमके नेता उन खबरों पर प्रतिक्रिया दे रहे थे कि तमिलनाडु राज्य पाठ्यपुस्तकनिगम ने यू.वी. स्वामीनाथन अय्यर ने बारहवीं कक्षा के छात्रों के लिए तमिल पाठ्य पुस्तकों में उन्हें यू.वी. स्वामीनाथन कर दिया था।

रामदास ने एक बयान में कहा कि जाति को खत्म करने के सरकार के कदम का स्वागत है, लेकिन विद्वानों की पहचान मिट जाएगी।

पीएमके नेता, जो सबसे पिछड़ी जाति (एमबीसी) वर्ग के भीतर अपने समुदाय वन्नियार के लिए 10.5 प्रतिशत आरक्षण की मांग का नेतृत्व कर रहे हैं, उन्होंने एक बयान में कहा कि लोगों में समानता पैदा करके ही जाति व्यवस्था को समाप्त किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में और नौकरियों के लिए आरक्षण केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लोगों के बीच समानता सुनिश्चित करने के लिए किए गए उपाय हैं।

रामदास ने कहा कि जाति के उपनाम छोड़ना इस मुद्दे की समझ की कमी को दर्शाता है।

पीएमके नेता ने कहा, आम लोगों के जाति उपनाम छोड़ने में कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन प्राप्तकर्ताओं के जाति उपनामों को छूट दी जानी चाहिए क्योंकि उनकी पहचान मिटने की संभावना है।

–आईएएनएस

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