पीएनबी फ्रॉड के बाद एक झटके में 18 हजार कर्मचारियों का ट्रांसफर

नई दिल्ली:
पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में 11,400 करोड़ रुपए के फ्रॉड के बाद बड़ा एक्शन हुआ है। सेंट्रल विजिलैंस कमीशन (सीवीसी) के आदेश पर पीएनबी ने तीन दिन के भीतर लगभग 18 हजार कर्मचारियों और अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया है। इससे आदेश से सबसे ज्यादा एक ही ब्रांच में 3 वर्ष से जमे अधिकारी और 5 साल से जमे कर्मचारी प्रभावित होंगे।

दरअसल पीएनबी फ्रॉड के सामने आने के बाद सीवीसी ने सोमवार को ही पब्लिक सेक्टर के बैंकों को एक एडवाइजरी जारी की थी। इसमें बैंकों को 31 दिसंबर, 2017 तक 3 साल पूरे कर चुके अधिकारियों के ट्रांसफर करने का आदेश दिया गया था। वैसे यह नियम बैंकों के उन कर्मचारियों पर भी लागू होता है, जो एक ही ब्रांच में 5 साल से ज्यादा समय से जमे हुए हैं।

नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स ने इस कदम का विरोध किया है। यूनियन के उपाध्यक्ष अश्विनी राणा ने इसे तुगलकी फरमान बताया। उन्होंने कहा कि बैंकों के लिए यह समय बहुत ही कठिन होता है, क्योंकि मार्च में बैंकों की वार्षिक क्लोसिंग होती है। आम तौर पर सभी बैंकों में अप्रैल से लेकर जुलाई के दौरान ही प्रमोशन और ट्रांसफर होते हैं। यूनियन से सरकार से इस फैसले को टालने की मांग की है।

घोटाले में कौन-कौन हैं आरोपी ?
हीरा कारोबारी नीरव मोदी और गीतांजलि ग्रुप्स के मालिक मेहुल चौकसी इस घोटाले के मुख्‍य आरोपी हैं। इन दोनों ने गोकुलनाथ शेट्टी के साथ मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया। 280 करोड़ के फ्रॉड केस में ED ने नीरव मोदी की पत्नी आमी, भाई निशाल, मेहुल चीनूभाई चौकसी, डायमंड कंपनी के सभी पार्टनर्स, सोलर एक्सपर्ट्स, स्टेलर डायमंड और बैंक के दो अफसरों गोकुलनाथ शेट्टी (अब रिटायर्ड) और मनोज खरात को गिरफ्तार कर लिया है।

ऐसे दिया गया फ्रॉड को अंजाम
पीएनबी फ्रॉड के केंद्र में देश के अरबपति हीरा कारोबारी नीरव मोदी हैं। इस पूरे फ्रॉड को लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) के जरिए अंजाम दिया गया। यह एक तरह की गारंटी होती है, जिसके आधार पर दूसरे बैंक अकाउंटहोल्डर को पैसा मुहैया करा देते हैं। अब यदि अकाउंटहोल्डर डिफॉल्ट कर जाता है तो एलओयू मुहैया कराने वाले बैंक की यह जिम्मेदारी होती है कि वह संबंधित बैंक को बकाये का भुगतान करे। पीएनबी के कुछ अफसरों ने नीरव मोदी को गलत तरीके से लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) दी। इसी एलओयू के आधार पर मोदी और उनके सहयोगियों ने दूसरे बैंकों से विदेश में कर्ज ले लिया। पीएनबी ने भले ही दूसरे लेंडर्स के नाम का उल्लेख नहीं किया, लेकिन समझा जाता है कि पीएनबी द्वारा जारी एलओयू के आधार पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक और एक्सिस बैंक ने भी क्रेडिट ऑफर कर दिया था।