पिम्परी मनपा के चिकित्सीय अधिकारी डॉ रॉय के खिलाफ एट्रोसिटी का मामला दर्ज करने के आदेश

साजिश व बदनामी से रोके रखी एक डॉक्टर की प्रमोशन

पिम्परी। पुणे समाचार ऑनलाइन

सोची समझी साजिश और जानबूझकर कर बदनामी के जरिए एक पिछड़े वर्गीय डॉक्टर को चार सालों से प्रमोशन पाने से रोके रखे जाने का मामला सामने आया है। इस बारे में दायर की गई याचिका की सुनवाई में पुणे जिला व सत्र न्यायालय ने शनिवार को पिम्परी चिंचवड़ मनपा के दो डॉक्टर अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड विधान की विभिन्न धाराओं के साथ ही एट्रोसिटी के तहत मामला दर्ज करने के आदेश दिये हैं। जिन डॉक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश जिला न्यायालय ने पुलिस महकमे को दिए हैं उनमें डॉ हेमंत चिखलीकर और डॉ के अनिल रॉय का समावेश है। डॉ रॉय पिम्परी मनपा के मुख्य स्वास्थ्य व चिकित्सीय अधिकारी हैं और डॉ चिखलीकर डॉक्टर संगठन के पदाधिकारी हैं।

उनके खिलाफ मनपा के डॉ शंकर जाधव ने जिला न्यायालय में याचिका दायर की है। उन्होंने पुणे समाचार संवाददाता को बताया कि, 2014 में उन्हें मनपा के वाईसीएम हॉस्पिटल के उप अधीक्षक पद का प्रमोशन मिलना था। मगर डॉ चिखलीकर ने डॉक्टर संगठन के फर्जी लेटरहेड जरिए प्रशासन को एक पत्र भेज कर उनकी बदनामीकारक शिकायत की थी। डॉ जाधव ने इसकी जांच की मांग की थी जिस पर डॉ रॉय ने कोई कार्यवाही नहीं की, उलटे उनकी बदनामी करने वाले शिकायत पत्र को मनपा के ईमेल से मनपा के सभी अस्पतालों को भेजकर डॉ जाधव की बदनामी की। इस बारे में उन्होंने एससी कमीशन और पुलिस में शिकायत की। मगर किसी ने कोई दखल नहीं ली। इसके चलते डॉ जाधव ने जिला अदालत से दरकार लगाई। हालिया हुई सुनवाई में अदालत ने डॉ चिखलीकर के खिलाफ आईपीसी की धारा 166, 420, 500, 504, 506, 34 और डॉ रॉय के खिलाफ एट्रोसिटी के तहत मामला दर्ज करने के आदेश पुलिस विभाग को दिए हैं।