पिम्परी आरपीआई की और सोनकाम्बले ही होंगी प्रत्याशी

आठवले की घोषणा से भाजपा में बढ़ी बेचैनी

पिम्परी। जैसा कि पुणे समाचार ने दो दिन पहले ही एक खबर के जरिए ध्यानाकर्षित किया था, ठीक वैसे ही होली की पूर्व संध्या पर पिम्परी चौक में सम्पन्न हुई सामाजिक सलोखा परिषद आरपीआई के विधानसभा चुनाव का आग़ाज़ ही साबित हुई। इस परिषद के जरिये पार्टी ने न केवल पिम्परी चिंचवड़ शहर में जोरदार शक्ति प्रदर्शन किया बल्कि पिम्परी विधानसभा की सीट पर अपना दावा ठोंकते हुए वरिष्ठ नेता व पूर्व नगरसेविका चंद्रकांता सोनकाम्बले को अपना प्रत्याशी भी घोषित कर दिया।

सलोखा परिषद से पूर्व संवाददाता सम्मेलन में आरपीआई सुप्रीमो व केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्यमंत्री रामदास आठवले ने एक सवाल के जवाब में स्पष्ट कर दिया कि, पिछड़े वर्ग हेतु आरक्षित पिम्परी विधानसभा की सीट पर पार्टी का दावा कायम रहेगा। पिछ्ली बार हमारी प्रत्याशी चंद्रकांता सोनकाम्बले ढाई हजार वोटों से हार गई, इस बार उन्हें 15 से 25 हजार वोटों से जिताने के लिए हमने कमर कस ली है। सोनकाम्बले इस सीट से दो बार चुनाव हार चुकी हैं, इस ओर ध्यानाकर्षित करने पर उन्होंने पुणे के सांसद अनिल शिरोले का उदाहरण दिया कि 25 हजार वोटों से पहली बार हारने के बाद वे लाखों की मार्जिन से चुन कर आए।

आठवले की घोषणा से सत्ताधारी भाजपा के खेमे में बेचैनी बढ़ गई है। क्योंकि पिम्परी विधानसभा की इस सीट से विधायक बनने का ख्वाब देखनेवालों की कमी नहीं है। इस सीट से स्थायी समिति की पूर्व अध्यक्षा सीमा सावले, राज्यसभा सांसद अमर साबले की पुत्री वेणु साबले, नए शिक्षा सम्राटों में शुमार और मुख्यमंत्री के करीबी अमित गोरखे के साथ ही मोदी लहर में अपनी नैय्या पार लगाने की मंशा में भाजपा का दामन थामने की तैयारियों में जुटे राष्ट्रवादी कांग्रेस समेत दूसरे दलों के नेता भी इच्छुक हैं। अब अगर रामदास आठवले की घोषणा के अनुसार अगर पिम्परी की सीट पुनः आरपीआई को चली जाती है तो भाजपा के इच्छुकों की सारी उम्मीदों पर पानी फिर जाएगा यह तय है। वहीं आठवले ने एक सवाल के जवाब में शिवसेना को साथ आने की अपील करते हुए राजनीति में नेताओं के लगातार बदलते बयानों की ओर ध्यानाकर्षित किया था, इससे शिवसेना के खेमे में भी बेचैनी बढ़ी है। कुल मिलाकर पिम्परी विधानसभा क्षेत्र में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां अभी से तेज हो चली है।