पर्यावरण जागरूकता हेतु साइक्लोथॉन का आयोजन

पुणे :प्रदूषण की वजहसे होनेवाले घातक परिणामों के प्रति जागरूकता निर्माण करने और लोगोंमे प्रदूषण रहित स्वच्छ जीवनशैली का प्रसार करने के लिहाज से स्टारकेन स्पोर्ट्स प्रा. लि और रोटरी क्बल आॅफ पिंपरी द्वारा साइक्लोथॉन साईकिल रैली का आयोजन किया गया है। यह रैली 4 फरवरी की सुबह सात बजे पिंपरी चिंचवड़ के प्राधिकरण के मेयर हाउस प्लॉट से निकलेगी। यह साईक्लोथॉन फुल (30 किमी), हाफ (15 किमी) और बच्चे (5 किमी) ऐसे तीन विभागों में होगी। इसकी घोषणा स्टारकेन के कार्यकारी निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रविण पाटिल एवं रोटरी क्लब आॅफ पिंपरी के अध्यक्ष विमल रावत ने मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में की।

इस साइक्लोथॉन का मुख्य उद्द्येश्य पिंपरी चिंचवड में दिन ब दिन बढ़नेवाले वाहनों की वजह से होनेवाले वायु प्रदूषण के प्रति नागरिकों को सतर्क करना और उनमें इसके बारे में जागरूकता निर्माण करना है। क्योंकि वायु प्रदूषण की वजह से कै न्सर, अस्थमा, त्वचा रोग जैसी कई सारी बीमारियां को न्योता मिल रहा है। यह साइक्लोथॉन वाहनों का इस्तेमाल कम कर साईकिल इस्तेमाल को प्रोत्साहन देगी। रोटरी क्लब आॅफ पिंपरी ने खेड तालुका के खारपूड और खोपेवाडी गांवों को दत्तक लिया है। उनके जीवन में सुधार लाने और उनकी आय बढ़ाने के लिए साइक्लोथॉन के जरिए कार्पोरेट क्षेत्र से वित्तीय मदद हासिल करना भी इस रैली का उद्देश्य है। साइक्लोथॉन की आॅनलाईन रजिस्ट्रेशन प्रकिया शुरू हो गई है। इसके लिए इच्छूकों को http://rotarycyclothon.in/register.php इस वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करना होगा।

प्रविण पाटिल ने कहा, जायंट स्टारकेन की तरफ से हमेशा से पर्यावरण से जुडी समस्याओं के प्रति जागरूकता निर्माण करने की कोशिश की जा रही है, इसमें साईकिल एक उपयुक्त माध्यम है, इसका प्रसार किया जा रहा है। पिंपरी चिंचवड का विकास बेहद तेजी से हो रहा है और वाहनों की बढती संख्या से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। इसकी रोकथाम में साईकिल उपयुक्त जरिया साबित होगा। रोटरी क्बल के पर्यावरण व साईकलिंग के प्रसार संबंधी ऐसे उपक्रमों में हम सदैव साथ रहेंगे। बिमल रावत ने कहा, इस साइक्लोथॉन द्वारा हम वायु प्रदूषण के दुष्परिणामों से बचने के लिए साइकलिंग किस प्रकार से बेहतर विकल्प साबित हो सकता है, इसका प्रचार व प्रसार किया जाएगा। एक जमाने में पुणे की पहचान साइकलों के शहर के तौर पर थी, अब उस पहचान को कायम करने का वक्त आ गया है। इससे पर्यावरण संवर्धन के साथ ही स्वस्थ जीवनशैली को भी प्रोत्साहन मिलेगा।