पराली जलाने के बावजूद पंजाब में दिल्ली से कम प्रदूषण

 नई दिल्ली, 8 नवंबर (आईएएनएस)| पंजाब फसल अवशेष जलाने के मामले में देशभर का केंद्र है।

 मगर इस राज्य का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के मामले में काफी संतोषजनक प्रदर्शन है। वहीं इसके पड़ोसी दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, सात नवंबर को पंजाब के जालंधर को छोड़कर सभी शहर प्रदूषण के मामले में औसत श्रेणी के साथ संतोषजनक स्थिति में हैं। यहां एक्यूआई का स्तर अमृतसर में (154), बठिंडा (102), खन्ना (89), लुधियाना (142) , मंडी गोबिंदगढ़ (119) और पटियाला में 66 रहा।

केवल जालंधर शहर में ही एक्यूआई का स्तर 217 दर्ज किया गया, जोकि खराब श्रेणी मानी जाती है। पंजाब व हरियाणा की संयुक्त राजधानी चंडीगढ़ में भी एक्यूआई संतोषजनक श्रेणी के साथ 86 दर्ज किया गया।

पंजाब के इन सभी शहरों में पराली (फसल अवशेष) जलाने जैसे काम बड़े स्तर पर होते हैं, मगर प्रदूषण की बात करें तो यहां की आबोहवा पड़ोसी राज्यों की अपेक्षाकृत काफी सही है। इसका कारण यह है कि पराली से उठने वाला धुआं कई बार उत्तर पश्चिमी हवाओं के साथ यहां से निकल जाता है।

पंजाब में सबसे ज्यादा पराली जलाने की घटनाएं सामने आई हैं। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चालू वर्ष में यहां फसल अवशेष जलाने की 25,366 घटनाएं हुई हैं, जो पिछले साल 27,584 की तुलना में 8.7 फीसदी कम है।

पंजाब की तुलना में हरियाणा में ऐसी घटनाएं बहुत कम हैं। यहां चालू वर्ष में 4,414 मामले सामने आए हैं, जोकि पिछले साल 5,000 के आंकड़े से नीचे है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में 3,133 से 1,622 तक कुल 48.2 फीसदी की कमी आई है।

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) में वायु प्रदूषण नियंत्रण इकाई के कार्यक्रम प्रबंधक विवेक चट्टोपाध्याय ने कहा, “दिल्ली की ओर हवा की दिशा और निचले वातावरण में ठहराव के कारण सिंधु गंगा मैदान एक सिंक के रूप में कार्य करता है और यह स्थानीय वायु प्रदूषण के साथ सर्दियों में पराली से होने वाले प्रदूषण से मिलता है। इसलिए वायु प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ता है। इसके बाद वातावरण साफ होने में काफी समय लगता है, क्योंकि इसकी खुद को साफ करने की क्षमता कम हो जाती है। इसका कारण यह है कि यह क्षेत्र हिमालय, अरावली और विंध्य पर्वत श्रृंखला के साथ एक बंद भूमि क्षेत्र है।”

कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक हालिया ट्वीट में कहा, “सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि गंगा का मैदान, जहां हमारे देश की लगभग आधी आबादी रहती है, वहां सभी जहरीली गैस के चैंबर में बंद हैं।”

आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने भी हाल ही में एक ट्वीट में कहा था, “जो कोई भी सोचता है कि स्मॉग दिल्ली की समस्या है, जरा नासा के नक्शे देखें, जो दर्शाते हैं कि पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उप्र, पश्चिम बंगाल और मप्र में स्मॉग कैसे फैल रहा है। अगर यह राष्ट्रीय मुद्दा नहीं है तो फिर क्या है? क्या केंद्र सरकार के लिए इस वार्षिक राष्ट्रीय संकट को हल करने का समय नहीं है?”

हाल के दिनों में दिल्ली के अलावा कई शहरों में बहुत अधिक वायु प्रदूषण का स्तर देखा जा रहा है। एक्यूआई स्तर को देखें तो उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद शहर 435 अंकों के साथ इस सूची में सबसे ऊपर है। इसके बाद 413 पर ओडिशा का तलचर शहर है।

इसके अलावा उत्तर भारत के अन्य शहरों की बात करें तो पटना (338), सोनीपत (301), पलवल (310), मुजफ्फरपुर (341), मानेसर (328), लखनऊ (366), कानपुर (366), बागपत (352) सहित बहुत से शहरों में बहुत से शहर आते हैं। , पानीपत (321), फरीदाबाद (312), गाजियाबाद (325), ग्रेटर नोएडा (318) और नोएडा (328) एक्यूआई स्तर के साथ प्रदूषण से जूझ रहे हैं। इसी तरह की स्थिति राजधानी दिल्ली की भी है।