नृत्यगोपाल दास राम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष, चंपत राय महामंत्री बने

 नई दिल्ली, 19 फरवरी (आईएएनएस)| राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की पहली बैठक बुधवार देर शाम खत्म हुई, जिसमें महंत नृत्यगोपाल दास ट्रस्ट के अध्यक्ष बनाए गए और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय को महामंत्री बनाया गया।

 वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा को भवन निर्माण समिति का चेयरमैन नियुक्त किए गया है।

बैठक में 9 प्रस्ताव पारित किए गए। बैठक 15 दिन के बाद फिर अयोध्या में होगी। बैठक में तय किया गया है कि अयोध्या में एसबीआई बैंक में एक जॉइंट एकाउंट खोला जाएगा। गोविंद देव गिरिजी महाराज को ट्रस्ट का कोषाध्यक्ष बनाया गया है।

दिल्ली की चार्टर्ड अकाउंटेंट फर्म बी. शंकर अय्यर कंपनी, जो रंजीत नगर के नाम से पंजीकृत है, को यह फैसला लेने का जिम्मा सौंपा गया है कि चंदा किस रूप में लिया जाए। यह भी तय किया गया है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की अयोध्या शाखा में एक ज्वाइंट अकाउंट खोला जाए जिन पर गोविंद मिश्र, चंपत राय और अनिल कुमार मिश्र तीनों के हस्ताक्षर हों।

अब निर्माण समिति की बैठक में तय होगा कि निर्माण कब शुरू होगा। ट्रस्ट के नए अध्यक्ष नित्यगोपाल दास ने कहा कि राम मंदिर का मॉडल वही रहेगा जो विहिप ने तय किया है। लेकिन उसे ऊंचा और चौड़ा करने के लिए प्रारूप पर विचार जरूर होगा।

बैठक में महंत नृत्यगोपाल दास, महंत दिनेंद्र दास, गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव ज्ञानेश कुमार, डॉक्टर अनिल कुमार मिश्रा, वासुदेवानंद सरस्वती, यूपी के अपर प्रधान सचिव अवनीश अवस्थी, परमानंदजी महाराज, अयोध्या के जिला अधिकारी अनुज झा, बिहार के कामेश्वर चौपाल, पेजावर मठ के प्रमुख जी. प्रसन्न तीर्थ, पुणे के स्वामी गोविंद देव गिरिजी और अयोध्या राजपरिवार के बलेंद्र मोहन सिंह शामिल हुए। बैठक लगभग तीन घंटे चली।

इसके पहले, वैष्णव वैरागी अखाड़ों की निर्वाणी अणी के महंत और अयोध्या में हनुमानगढ़ी के महंत धर्मदास भी ट्रस्ट की बैठक के दौरान पहुंच गए, लेकिन उन्हें बैठक में शामिल नहीं किया गया। उन्हें बैठक कक्ष के बाहर ही एक अन्य कमरे में बैठा दिया गया। महंत धर्मदास काफी समय से ट्रस्ट में शामिल किए जाने की मांग कर रहे थे। वह राम मंदिर का पुजारी बनना चाहते हैं।

सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने ट्रस्ट में शामिल न किए जाने और रामलला की सेवा व पूजा का अधिकार न दिए जाने की सूरत में अदालत का दरवाजा खटखटाने की बात कही है।