दिन विशेष: रोल्ज रॉयस के बारे में यह जानते हैं?

पुणे : पुणे समाचार

रोल्ज रॉयस के बारे में बताने कि यूँ तो कोई ज्यादा ज़रूरत नहीं, क्योंकि आप पहले से बहुत कुछ जानते होंगे, लेकिन आज ख़ास मौका है। और इसलिए हम आपको इससे जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य बताने जा रहे हैं। दरअसल ब्रिटिश लग्ज़री ऑटोमोबाइल कंपनी रोल्ज रॉयस लिमिटेड 15 मार्च 1906 को शुरू हुई थी। इसे चार्ल्स स्टीवर्ट रोल्ज और फ्रेड्रिक हेनरी रॉयस ने शुरू किया। इसी साल कंपनी ने अपनी पहली कार, सिल्वर घोस्ट को लॉन्च की। जो बिना रुके 24 हजार किलोमीटर तक दौड़ सकती है, यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है।

44 हजार रंगों के विकल्प 
दुनियाभर में बनीं कुल रोल्ज रॉयस कारों में से तकरीबन 65 पर्सेंट कारें आज भी सड़क पर चलती हैं। रोल्ज रॉयल की फैंटम को पहली बार 2003 में लॉन्च किया गया। बीएमडब्ल्यू के तहत बनी यह पहली नई जेनरेशन रोल्ज रॉयल लग्जरी कार थी। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि इसमें एक, दो, दस नहीं बल्कि पूरे 44 हजार रंगों के विकल्प हैं! रोल्ज रॉयल फैंटम की हर यूनिट जर्मनी में बनती है। इसे बनाने में 200 ऐल्युमिनियम सेक्शंस और 300 अलॉय पार्ट्स को हाथ से वेल्ड किया जाता है। एक फैंटम बनाने में कम से कम दो महीने का समय लगता है।

सबसे ज्यादा हॉन्गकॉन्ग में 
आप शायद यह नहीं जानते हों कि दुनियाभर में सबसे ज्यादा रोल्ज रॉयस कारें हॉन्गकॉन्ग में देखने को मिलती हैं। इसका सबसे कम उम्र वाला खरीदार ताइवान निवासी महज 12 साल का लड़का है। उसने फैंटम कार खरीदी थी। रोल्ज रॉयस की एक पूरी कार को पेंट करने में मिनिमम 100 पाउंड पेंट लगता है। 5 लेयर्स में इसकी पेंटिंग होती है और फिनिशिंग में तकरीबन सात दिन लगते हैं।

जब कूड़ा ढोने में लगाया 
रोल्ज रॉयस के साथ जो सलूक एक भारतीय महाराज ने किया था, वो संभवता कोई करने की हिम्मत न जुटा पाए। 1920 की बात है अलवर के महाराजा जय सिंह प्रभाकर को इंग्लैंड में रोल्ज रॉयस कार का टेस्ट ड्राइव करने से रोका गया था। इसका बदला लेने के लिए उन्होंने सात कारें खरीदीं। और सातों को कूड़ा ढोने में लगा दिया। जब कंपनी को यह पता लगा तो उसने राजा से लिखित में माफी मांगी। दरअसल, इंग्लैंड के रोल्ज रॉयस शोरूम में जब वह गए थे तो सामान्य परिधान में थे। उन्होंने टेस्ट ड्राइव की गुजारिश की, कंपनी स्टाफ ने यह सोचकर मना कर दिया कि वो इसे खरीद नहीं पाएंगे।