तो क्या गोडसे समर्थक को है कमलनाथ का साथ? (लीड-1)

भोपाल, 17 मार्च (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में हिंदू महासभा के गोडसे समर्थक बाबूलाल चैरसिया को कांग्रेस में शामिल किए जाने के बाद पार्टी के भीतर संग्राम छिड़ गया है। पार्टी के इस फैसले के खिलाफ चैरसिया का खुले तौर पर कई नेता विरोध कर चुके हैं मगर चैरसिया अब भी सुरक्षित है और माना यह जा रहा है कि कमल नाथ का गोडसे समर्थक को समर्थन हासिल है।

ग्वालियर नगर निगम के हिंदू महासभा से पार्षद बाबूलाल चौरसिया को पिछले दिनों भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ ने कांग्रेस की सदस्यता दिलाई थी। चौरसिया को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई जाने के बाद कांग्रेस के कई नेता मुखर हुए थे। पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने तो गांधी हम शमिंर्दा हैं कहकर अपनी नाराजगी जताई थी।

अरुण यादव का बयान आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई और विधायक लक्ष्मण सिंह, पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन, पूर्व मंत्री सुभाष कुमार सोजतिया ने चैरसिया को कांग्रेस में लिए जाने को पार्टी की नीतियों के खिलाफ उठाया कदम बताया था। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से जब चौरसिया को कांग्रेस में शामिल किए जाने का सवाल किया गया तो उन्होंने पूछा कि बाबूलाल चौरसिया कौन है।

एक तरफ जहां चौरसिया को कांग्रेस की सदस्यता दिलाए जाने पर कई नेता गांधीवादी विचारधारा के खिलाफ बता रहे थे तो वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मानक अग्रवाल ने सीधे तौर पर कमलनाथ पर हमला किया था। मानक अग्रवाल का मामला अनुशासन समिति में गया और उन्हें पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया। इसके बाद भी अग्रवाल के उग्र तेवरों में बदलाव नहीं आया है।

अग्रवाल अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य हैं और उन्होंने सवाल किया है कि क्या प्रदेष की अनुशासन समिति को उन पर कार्रवाई का अधिकार है।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा है कि मानक अग्रवाल ने कमलनाथ के खिलाफ बयान दिया था, यह बात सही है। और उन पर पार्टी को कार्रवाई करने का अधिकार है। मगर अग्रवाल की निष्ठा हमेशा पार्टी में रही है इसलिए इस तरह की कार्यवाही से पहले विचार किया जाना चाहिए था। वहीं दूसरी ओर गोडसे समर्थक को पार्टी में लेना कहां तक उचित है, इसका भी जवाब पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ को देना चाहिए। सवाल उठ रहा है कि क्या कमल नाथ गोडसे समर्थक को संरक्षण दे रहे हैं।

गोडसे समर्थक को कांग्रेस में शामिल किए जाने के बाद से पार्टी में दो धाराएं साफ नजर आ रही हैं। एक तरफ वे लोग हैं जो कमलनाथ के साथ हैं तो दूसरी तरफ गेाडसे समर्थक को पार्टी में लिए जाने के खिलाफ खड़े हुए लोग हैं। कुल मिलाकर कांग्रेस ऐसे दोराहे पर खड़ी है जहां पार्टी में आने वाले समय में बिखराव और बढ़ने की संभावना है।

राजनीति के जानकारों का कहना है की कमलनाथ ने मानक अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई कर यह संदेश दिया है कि कांग्रेस में दिग्विजय सिंह समर्थकों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है। साथ ही कमल नाथ ने अपनी ताकत का भी लोहा मनवाने की कोशिश की है, अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई करके। हो सकता है कि आने वाले दिनों में कुछ और कांग्रेस कार्यकर्ताओं और उन नेताओं पर कार्रवाई हो जिन्होंने चौरसिया के कांग्रेस प्रवेश पर सवाल उठाए थे।

मानक अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई किए जाने को सियासी तौर पर कमल नाथ और दिग्विजय सिंह के बीच बढ़ती दूरी का भी संकेत देने वाले है। ऐसा इसलिए क्योंकि अग्रवाल की गिनती दिग्विजय समर्थकों में रही है। दिग्विजय िंसह जब भोपाल लोकसभा से चुनाव लड़े थे तब मानक अग्रवाल चुनाव के मीडिया प्रभारी थे। कुल मिलाकर यह माना जा रहा है कि कमल नाथ की यह कार्रवाई पार्टी के भीतर चल रही खींचतान को सामने लाने वाली है। साथ ही यह भी बताती है कि कमल नाथ और दिग्विजय सिंह के बीच सब-कुछ ठीक-ठाक नहीं है।

–आईएएनएस

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