तमिलनाडु चुनाव में खराब प्रदर्शन पर वामपंथी दल मंथन करें : बालाकृष्णन

चेन्नई, 5 मई (आईएएनएस)। तमिलनाडु की मुख्य दो वामपंथी पार्टियां सीपीएम और सीपीआई, जो डीएमके के नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा थीं, उनको भी इस चुनाव में 2-2 सीटों से संतोष करना पड़ा। इन दोनों ने 6 सीटों पर चुनाव लड़ा था।

सीपीएम के राज्य सचिव के बालाकृष्णन ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, पार्टी को उन क्षेत्रों में सीटें आवंटित नहीं हो पाईं, जहां हम मजबूत हैं। जैसे कि कन्नयाकुमारी और चेन्नई। कोविलपट्टी, डिंडुगल और

थिरुपरनकुंडम जैसी सीटों पर हमें टीटीवी धीनाकरन और पूर्व मंत्री के खिलाफ खड़ा किया गया था और हम उनके संसाधनों से मेल नहीं खा सके।

डीएमके के नेतृत्व में चुनाव जीतने के बाद, वाम दलों का खराब प्रदर्शन तमिलनाडु के राजनीति में चर्चा का विषय रहा है।

पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक सीएम शिवकुमार ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, वामपंथी दल तेजी से अपनी कार्यकर्ता ताकत खो रहे हैं । यहां तक कि सीपीएम ने जो दो सीटें जीती हैं, वे द्रमुक पर सवार हैं। अगर वे अपनी रणनीतियों को फिर से नहीं करते हैं, तो वाम दलों के लिए तमिलनाडु में टिकना मुश्किल होगा।

भाकपा पार्टी को भी निराशा हाथ लगी, जिसमें वह 6 में से केवल 2 सीटें जीती थीं। पार्टी ने कोंगु क्षेत्र, वलपरई, तिरुप्पुर और भवानीसागर में चुनाव लड़ा, जिसमें बागान श्रमिकों, औद्योगिक श्रमिकों और अन्य मजदूरों की संख्या ज्यादा है और ट्रेड यूनियन गतिविधियों के कारण पार्टी में पकड़ है।

सीपीआई के राज्य सचिव आर मुथरासन ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, द्रमुक ने मोर्चे का नेतृत्व किया था और इसके कार्यकर्त्ता और हमारे गठबंधन सहयोगी हमारे अभियान में सबसे आगे थे। दुर्भाग्य से जिन क्षेत्रों में हम चुनाव लड़े, समर्थन एआईएडीएमके के सामने आया और हमें हारना पड़ा।

चुनावों में सीपीआई ने थल्ली और थिरुथुराईपोन्डी सीटें जीतीं, जबकि सीपीएम ने किलवेलूर और गंधर्वकोट्टई से जीत हासिल की।

सीपीएम पोलित ब्यूरो के सदस्य और केरल के पूर्व शिक्षा मंत्री एम ए बेबी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, सीपीएम ने चुनाव में उतना बुरा प्रदर्शन नहीं किया है, लेकिन फिर भी हमें अध्ययन करना होगा कि पार्टी के लिए तमिलनाडु में क्या गलत हुआ।

–आईएएनएस

एचके/आरजेएस