टीम को जरूरत थी, इसलिए ड्रैग फ्लिक सीखा : गुरजीत कौर (आईएएनएस साक्षात्कार)

 नई दिल्ली, 25 जून (आईएएनएस)| जापान के हिरोशिमा में हुए एफआईएच वुमेंस सीरीज फाइनल्स में पांच मैचों में कुल 27 गोल करते हुए भारतीय महिला हॉकी टीम ने खिताब भी जीता और ओलम्पिक क्वालीफायर में भी जगह बनाई।

 इस टूर्नामेंट में 11 गोल अकेले युवा ड्रैग फ्लिकर गुरजीत कौर ने किए और यह दर्शाया कि वह भारतीय हॉकी का भविष्य हैं।

टूर्नामेंट की टॉप स्कोरर का पुरस्कार जीतने वाली 23 साल की गुरजीत ने 11 में से 10 गोल ड्रैग फ्लिक से किए। उनका एक गोल पेनाल्टी स्ट्रोक के जरिए आया। गुरजीत ने आईएएनएस को बताया कि उन्होंने ड्रैग फ्लिक करना भारतीय टीम में आने के बाद ही सीखा क्योंकि टीम को एक अदद ड्रैग फ्लिकर की जरूरत थी।

गुरजीत ने बताया, “मेरा चयन जूनियर कैम्प के लिए हुआ था लेकिन मेरा पहला टूर सीनियर टीम के साथ था। मुझे उस समय ज्यादा पता नहीं था कि ड्रैग फ्लिक क्या होता है, फिर मैंने इसके बारे में जाना और टीम की जरूरत को देखते हुए सीखा। मुझे अभी भी बहुत बेहतर होना है और खासकर अपनी स्पीड पर काम करना है।”

गुरजीत के आने से पहले भारतीय टीम पेनाल्टी कॉर्नर में अधिकतर स्लैप और हिट के जरिए गोल करने का प्रयास करती थी। गुरजीत ने ड्रैग फ्लिक स्किल को बेहतर करने के लिए हॉलैंड के कोच टून स्पीमन के साथ भी काम किया, जिन्होंने सोहेल अब्बास और मार्क डे वीरडन जैसे खिलाड़ियों को भी यह कला सिखाई।

गुरजीत ने कहा, “टेन अपने समय में खुद बहुत अच्छे ड्रैग फ्लिकर थे। मैं पहले ड्रैग फ्लिक करती थी, लेकिन मुझसे छोटी-छोटी गलतियां होती थीं और मुझे पता भी नहीं चलता था। उन्होंने मुझे मेरी गलतियों के बारे में बताया। उन्होंने समझाया कि फर्स्ट फुट का कैसे इस्तेमाल करना है। ड्रैग की मूवमेंट कैसे होगी और हाथों का किस तरह से उपयोग किया जाए ताकि गेंद गोल की ओर तेजी से जाए। मैंने यह सब सीखा और खुद को बेहतर किया।”

भारतीय डिफेंडर इस स्किल को सिर्फ अपने तक नहीं रखना चाहती और जूनियर खिलाड़ियों तथा अपनी साथियों को भी सिखा रही हैं। गुरजीत ने कहा, “मैं जूनियर खिलाड़ियों को ड्रैग फ्लिक सिखा रही हूं। मौजूदा टीम में डिफेंडर दीप ग्रेस इक्का भी ड्रैग फ्लिक सीख रही है। वे सब मुझसे पूछती हैं और मुझे उन्हें इस स्किल को सिखाने में बहुत मजा आता है।”

वुमेंस सीरीज फाइनल्स में भारत ने जिन टीमों का सामना किया वे सभी रैंकिंग में भारत से नीचे थीं। गुरजीत ने हालांकि, यह मानने से इंकार किया कि बाकी टीमों के कमजोर होने के कारण उनकी टीम को खिताबी जीत मिली।

गुरजीत ने कहा, “किसी भी टूर्नामेंट में भाग ले रही टीमों को हम एक जैसे नजरिए से देखते हैं। अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट में भाग लेने वाली हर टीम अपना पूरा जोर लगाती है और हम यहां से कड़ी मेहनत करके गए थे, जिसका हमें फल मिला। अगर हम यह सोचकर जाते कि हम कमजोर टीम के खिलाफ खेलेंगे तो अतिआत्मविश्वास के कारण हम मैच हार भी सकते थे।

गुरजीत ने कहा कि उनकी टीम ने अभी एक मिशन पूरा किया है और अब उसका निशाना दूसरे मिशन पर है, जो कि ओलम्पिक क्वालीफायर है। बकौल गुरजीत, ” हमारा एक मिशन पूरा हुआ है और अब हम ओलम्पिक क्वालीफायर में मजबूत टीमों का सामना करेंगे और उन्हें हराने की पूरी कोशिश करेंगे। हम अगले मिशन के लिए तैयार हैं।”

उल्लेखनीय है कि ओलम्पिक क्वालीफायर के लिए भारतीय टीम का कैम्प 15 जुलाई से बेंगलुरू के साई सेंटर में लगेगा।