खास बात यह है कि भूमि सुपोषण एवं संरक्षण अभियान की शुरुआत, भूमि पूजन से होगी। राष्ट्रीय और राज्य स्तर से लेकर गांवों तक 13 अप्रैल को भूमि पूजन कर इस अभियान का शुभारंभ होगा।
अभियान के राष्ट्रीय संयोजक जयराम सिंह पाटीदार और गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. भगवती प्रकाश ने बताया कि इस जन अभियान का संचालन कृषि एवं पर्यावरण क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं की ओर से होगा। देशभर के किसानों से संवाद कर उन्हें मिट्टी के पोषण के बारे में जानकारी देकर रासायनिक उत्पादों के प्रयोग से बचने की सलाह दी जाएगी। खेती के परंपरागत साधनों की तरफ लौटने के लाभ बताए जाएंगे। उन्होंने बताया कि यह भ्रम है कि जैविक खेती से उत्पादन कम होता है। जैविक खेती से जहां मिट्टी की उत्पादकता बनी रहती है, वहीं इससे रासायनिक उत्पादों की तुलना में दोगुनी पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
उन्होंने बताया कि खेती में लागत निरंतर बढ़ रहा है। आर्गनिक कार्बन की मात्रा कम होने से उत्पादन भी घट रहा है। भूमि की जल धारण क्षमता और जलस्तर भी अधिकांश स्थानों पर घट रहा है। कुपोषित भूमि के कारण लोग रोगों का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में तीन महीने तक चलने वाले इस अभियान के माध्यम से भारतीय कृषि चिंतन को स्थापित करने की तैयारी है। उन्होंने बताया कि यह जन अभियान गत चार वर्षों से किए जा रहे व्यापक परामर्श प्रक्रिया का परिणाम है।
–आईएएनएस
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