जिला नियोजन निधि कटौती का फैसला वापस: वित्तमंत्री

पुणेः समाचार

किसानों को कर्जमाफी और बजट में वित्तीय घाटे को ध्यान में रख राज्य सरकार ने हर जिला नियोजन समिति को दी जानेवाली नियोजन निधि में 30 फीसदी की कटौती का फैसला किया है। इस पर हर स्तर से कड़ी नाराजगी जताई जा रही है, इसे गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने यह फैसला वापस ले लिया है। जल्द ही इसका अध्यादेश भी जारी होगा, यह जानकारी राज्य के वित्त व नियोजन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने बीती शाम पुणे में दी।

राज्य नियोजन विभाग द्वारा आयोजित राज्यस्तरीय प्रारूप रूपरेखा की बैठक वित्त व नियोजन मंत्री की अध्यक्षता में संपन्न हुई। पुणे के कौंसिल हॉल में हुई इस बैठक में वित्त राज्य मंत्री दीपक केसरकर, लोकनिर्माण मंत्री चंर्द्रकांत पाटील, सहकारिता मंत्री सुभाष देशमुख, पुणे जिले के पालकमंत्री गिरीश बापट, सामाजिक न्याय राज्यमंत्री दिलीप कांबले, दुग्ध विकास व पशुसंवर्धन मंत्री महादेव जानकर, राज्यसभा सांसद संजय काकडे, पुणे विभागीय आयुक्त चंर्द्रकांत दलवी समेत पुणे विभाग के मातहत आनेवाले पुणे, कोल्हापुर, सोलापुर, सातारा, सांगली जिलों के जिलाधिकारी शामिल थे।

किसानों के लिए घोषित कर्जमाफी योजना के लिए निधि की जरुरत है, इसके लिए सरकार ने हर जिले के नियोजन व विकास हेतु दी जानेवाली निधि में 30 फीसदी कटौती का फैसला किया था। इसके साथ ही केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के लिए जिला प्रशासन को कुछ निधि आरक्षित रखनी पड़ती है, कुल प्राप्त होनेवाली निधि में मात्र 50 फीसदी निधि ही खर्च होती। इस पर बैठक में उपस्थित जिलाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने पुरजोर विरोध किया। इसके चलते वित्त व नियोजन मंत्री मुनगंटीवार ने उपरोक्त घोषणा की और आगामी दो माहों में सभी जिलों को दी जानेवाली सौ फीसदी निधि इस्तेमाल करना संभव होगा, केंद्र सरकार की योजनाओं के लिए आरक्षित की जानेवाली निधि में भी कटौती की जाएगी, यह भी उन्होंने स्पष्ट किया। केंद्रीय बजट में घोषित विविध योजनाओं का ज्यादा से ज्यादा लाभ महाराष्ट्र को मिले, इसके लिए पांच सदस्यों के समावेशवाली समिति गठित की जाएगी। यह समिति केंद्र सरकार की योजनाओं के बारे में उचित, प्रभावी प्रस्ताव समय पर बनाकर पेश करेगी, यह भी उन्होंने बताया।