चालू फसल वर्ष 2020-21 (जुलाई-जून) के जायद सीजन की फसलों की बुवाई के लिए सरकार ने 51 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य रखा है जोकि पिछले सीजन से 50 फीसदी ज्यादा है।
जायद सीजन में मुख्य रूप से तरबूज, ककड़ी, खीरा व कुछ अन्य बागवानी फसलों की खेती ज्यादा होती है। इसके अलावा, दहलन, तिलहन और मोटे अनाजों की खेती भी कई राज्यों में होती है। बिहार में इस सीजन में मूंग और मक्के की खेती सबसे ज्यादा होती है।
मार्च से लेकर जून तक के फसल सीजन को जायद सीजन कहते हैं। इस सीजन में बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक समेत देश के विभिन्न प्रांतों में विभिन्न फसलों की खेती की जाती है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि सब्जियों की खेती सिर्फ सिंचित भूमि में होती है जबकि दलहन, तिलहन और मोटे अनाजों की खेती असिंचित भूमि में भी होती है और सिंचाई का प्रबंध किए जाने से जायद सीजन सीजन की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने इस साल जायद सीजन में 28.12 लाख हेक्टेयर में दलहनी फसलों की बुवाई का लक्ष्य रखा है जोकि पिछले साल के 14.16 लाख हेक्टेयर से तकरीबन दोगुना है। सरकार ने इस साल जायद सीजन में 21.12 लाख हेक्टेयर में मूंग, 5.78 लाख हेक्टेयर में उड़द और 1.22 लाख हेक्टेयर में अन्य दलहनों की बुवाई का लक्ष्य रखा है।
जायद तिलहनी फसलों की लक्ष्य 11.78 लाख हेक्टेयर है जिसमें मूंगफली 6.57 लाख हेक्टेयर, तिल 4.14 लाख हेक्टेयर, सूर्यमुखी 97,000 हेक्टेयर और अन्य तिलहनी फसलों का रकबा 10,000 हेक्टेयर शामिल है।
इस सीजन के मोटे अनाजों की खेती का लक्ष्य 11.20 लाख हेक्टेयर है जिसमें मक्का 6.33 लाख हेक्टेयर, बाजरा 4.16 लाख हेक्टेयर, ज्वार 36,000 और रागी 35,000 हेक्टेयर शामिल है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि दो प्रमुख सीजन के बीच जायद एक अतिरिक्त सीजन है जिसमें लगने वाली मूंगफली जैसी तिलहनी फसल और दलहनी फसलों से जमीन में नाइट्रोजन स्थिरीकरण होता है, इस प्रकार किसानों को इन फसलों से एक अतिरिक्त आय तो मिलती ही है, भूमि की उर्वरा-शक्ति भी बढ़ती है।
अधिकारी बताते हैं कि पहले जायद सीजन की फसलों की खेती को बढ़ावा नहीं दिया गया मगर अब केंद्र सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत इस सीजन की फसलों की खेती को बढ़ाव दे रही है, जिससे लगातार बुवाई क्षेत्र में इजाफा हो रहा है।
फसल वर्ष 2019 में देशभर में जायद सीजन की फसलों का रकबा 25.44 लाख हेक्टेयर था, जिसके मुकाबले इस साल तकरीबन दोगुना 51.10 लाख हेक्टेयर बुवाई का लक्ष्य रखा गया है।
–आईएएनएस
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