यह स्थानांतरण केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) के आदेश पर किया जा रहा है। अब स्थानांतरित किए जा रहे कैदियों को पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी माना जाता है, जिनमें से 10 हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी से जुड़े हैं।
इन कैदियों पर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत मामला दर्ज किया गया था और अगस्त 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन राज्य के विशेष दर्जा को निरस्त करने के मद्देनजर गिरफ्तार किया गया था।
आगरा केंद्रीय जेल के वरिष्ठ अधीक्षक वी.के. सिंह के अनुसार, आगरा सेंट्रल जेल में पहले से ही आठ कैदी बंद थे, नैनी, बरेली और अंबेडकर नगर जेलों से 17 और स्थानांतरित किए गए हैं। चार और वाराणसी सेंट्रल जेल से स्थानांतरित किए जाने वाले हैं। इन सभी को अन्य कैदियों से दूर सुरक्षा सेल में रखा जाएगा।
संपूर्ण सेल ध्वनिरोधी है और निरंतर सीसीटीवी निगरानी में है। सूत्रों ने बताया कि स्पेशल सेल में ड्यूटी पर मौजूद जेल स्टाफ को किसी भी कैदी से बात न करने के लिए सख्ती से निर्देशित किया गया है। यदि आवश्यक हो तो केवल वरिष्ठ अधिकारी उनके साथ संवाद करेंगे।
उन्हें हर दिन एक निश्चित समय पर एक-एक करके लॉक-अप से बाहर ले जाया जाएगा और कुछ मिनटों के लिए चलने की अनुमति दी जाएगी।
मुख्य द्वार पर आगंतुकों और कर्मचारियों की पूरी तरह से जांच की जाएगी। पूरे परिसर की पुलिस और प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी (पीएसी) द्वारा चौबीसों घंटे निगरानी की जा रही है।
साल 2019 में पीएसए के तहत बुक किए गए 200 से अधिक कैदियों को आगरा सेंट्रल जेल में स्थानांतरित किया गया था। एक साल बाद उनमें से अधिकांश को एमएचए के निर्देश पर अस्थायी रूप से बरी किया गया था।
आगरा केंद्रीय जेल में उच्च सुरक्षा सेल का निर्माण 23 साल पहले किया गया था और इसमें 30 कैदियों को रखने की क्षमता है।
–आईएएनएस
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