चुनावी रणनीति के लिए प्रशांत किशोर के संपर्क में द्रमुक

 चेन्नई, 1 दिसम्बर (आईएएनएस)। सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक के बाद अब प्रमुख विपक्षी पार्टी द्रमुक की योजना है कि वह ब्राह्मण प्रशांत किशोर को अपने चुनावी रणनीतिकार के रूप में नियुक्त करे।

 अभिनेता से नेता बने कमल हासन की मक्कल निधि मियाम (एमएनएम) भी किशोर के साथ संपर्क में है।

इसके अलावा एक अन्य अभिनेता रजनीकांत ने भी राजनीति में प्रवेश करने की योजना बनाई है। उन्होंने चुनवा रणनीतिकार के साथ चर्चा भी की है।

किशोर वर्तमान में पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के साथ काम कर रहे हैं।

एक सूत्र ने बताया कि द्रमुक किशोर के साथ बातचीत कर रही है।

द्रमुक अब एक नए सलाहकार की तलाश कर रहा है, क्योंकि उनके मौजूदा रणनीतिकार सुनील के. हैं, जिन्होंने अब किसी अन्य काम की तलाश करने का फैसला किया है।

राजनीतिक विश्लेषक रवींद्रन धुरिस्वामी ने आईएएनएस को बताया, “अगर पार्टी बिहारी ब्राह्मण किशोर को शामिल करती है तो यह देखना दिलचस्प होगा कि द्रमुक में नेता और कैडर किस तरह की प्रतिक्रिया देंगे। द्रमुक निश्चित रूप से ब्राह्मण समर्थक नहीं है। द्रमुक के हिंदी विरोधी रुख के साथ राजनीतिक रणनीति को जमीन पर उतारने के लिए हिंदी बेल्ट के एक व्यक्ति को देखना दिलचस्प होगा।”

उन्होंने कहा कि पार्टी के नेता किशोर की योजनाओं पर कैसे प्रतिक्रिया देंगे, यह देखना काफी दिलचस्प होगा।

राजनीतिक विश्लेषक कोलाहल श्रीनिवास का हालांकि मानना है कि किशोर और द्रमुक के बीच संबंध पेशेवर होगा और इसमें जातिवाद के लिए कोई जगह नहीं होगी।

धुरिस्वामी के अनुसार, किसी रणनीतिकार के लिए किसी बड़ी पार्टी के साथ काम करना और चुनावी रणनीति को चाक-चौबंद करना कोई बड़ी बात नहीं है, जिसका परिणाम चुनाव जीतना या उसमें उनका आधार बढ़ना हो सकता है।

दिलचस्प बात यह है कि तमिलनाडु में सत्ता की धुरी अन्नाद्रमुक और द्रमुक के बीच ही घूमती है।

किशोर के लिए तमिलनाडु एक नया क्षेत्र होगा, जबकि राज्य के लिए चुनावी रणनीतिकार नए नहीं हैं।

एक चुनाव रणनीतिकार ने आईएएनएस को बताया, “एक क्षेत्रीय पार्टी के साथ काम करने से पोल रणनीतिकार को राष्ट्रीय पार्टी के साथ काम करने के विपरीत आवश्यक स्वतंत्रता मिलती है।”

धुरीस्वामी का कहना है कि शिवसेना के लिए किशोर का जादू महाराष्ट्र में काम नहीं आया।

विशेषज्ञों का विचार है कि रजनीकांत की राजनीतिक प्रविष्टि चुनावी गतिशीलता को बदल देगी।

तमिलनाडु की 39 में से 38 सीटों पर द्रमुक ने फिर से लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल की है।