चंद्रयान-2 प्रक्षेपण की चल रही उल्टी गिनती (लीड-1)

 चेन्नई, 14 जुलाई (आईएएनएस)| चंद्रयान-2 को ले जाने वाले भारत के भारी रॉकेट का प्रक्षेपण 15 जुलाई को तड़के किए जाने के लिए उल्टी गिनती सुचारु रूप से चल रही है।

  भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन के.सिवन ने आईएएनएस से कहा, “उल्टी गिनती रविवार सुबह 6.51 बजे शुरू हो गई।”

लगभग 44 मीटर लंबा, 640 टन का जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लांच व्हीकल-मार्क तृतीय (जीएसएलवी-एमके तृतीय) एक सफल फिल्म के हीरो की तरह सीधा खड़ा है। रॉकेट में 3.8 टन का चंद्रयान अंतरिक्ष यान है। रॉकेट को ‘बाहुबली’ उपनाम दिया गया है।

अपनी उड़ान के लगभग 16 मिनट बाद 375 करोड़ रुपये का जीएसएलवी-मार्क 3 रॉकेट 603 करोड़ रुपये के चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी पार्किं ग में 170 गुणा 40400 किलोमीटर की कक्षा में रखेगा।

धरती और चंद्रमा के बीच की दूरी लगभग 3.844 किलोमीटर है।

वहां से चंद्रमा के लिए लंबी यात्रा शुरू होगी। चंद्रयान-2 में लैंडर-विक्रम और रोवर-प्रज्ञान चंद्रमा तक जाएंगे।

लैंडर-विक्रम छह सितंबर को चांद पर पहुंचेगा और उसके बाद प्रज्ञान यथावत प्रयोग शुरू करेगा।

उल्टी गिनती के दौरान रॉकेट व अंतरिक्षयान की प्रणालियां जांच से गुजरेंगी और रॉकेट इंजनों में ईंधन भरा जाएगा।

इसरो के अनुसार, लिक्विड कोर स्टेज में तरल ईंधन भरने का काम रविवार को पूरा हो गया।

जीएसएलवी-एमके 3 को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में 4 टन श्रेणी के उपग्रहों को ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है।

व्हेकिल में दो ठोस स्ट्रेप ऑन मोटर हैं। इसमें एक कोर तरल बूस्टर है और ऊपर वाले चरण में क्रायोजेनिक है।

अब तक इसरो ने तीन जीएसएलवी-एमके 3 रॉकेट भेजे हैं।

इसमें पहला 18 दिसंबर 2014 को, दूसरा 5 फरवरी 2017 को व तीसरा 14 नवंबर 2018 को भेजा गया।

जीएसएलवी-एमके 3 का इस्तेमाल भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए किया जाएगा, जो वर्ष 2022 के लिए निर्धारित है।