गोंडा में फूलों से महक रही किसान महिलाओं की जिंदगी

गोंडा (उप्र), 7 दिसंबर (आईएएनएस)| फूलों का नाम सुनते ही अनेक प्रकार के सुगंध की अनुभूति होने लगती है, लेकिन उत्तर प्रदेश के वजीरगंज के फूलों को महिलाओं ने हाथ क्या लगाया, गोंडा की जमीन ही महक उठी।

खेतों की क्यारियों में उगने वाली फूलों की महक से अब महिलाओं की जिंदगी भी संवारने लगी है। अच्छी आमदनी से परिवार में चटख रंग भरने लगे हैं। फूल उनकी जिंदगी में खुशहाली ला रहे हैं।

वजीरगंज के गेंदा व गुलाब लखनऊ, कानपुर व कन्नौज को भा रहे हैं। यहां की महिला किसान अपने बलबूते अपनी जिंदगी को संवार रही हैं। पारंपरिक खेती के स्थान पर फूलों की हाईटेक खेती अपनाकर अपनी मेहनत और लगन से यहां की महिलाएं कृषि क्षेत्र में एक नया मुकाम हासिल कर रही हैं।

गेंदा की खेती करने वाली ताहिरुन्निसां ने आईएएनएस से कहा, “हम तीन बीघे में गेंदा की खेती करती हैं। एक बीघे में लगभग 10 हजार का खर्च आता है निराई, गोड़ाई और खाद सिंचाई सब मिलाकर। इसके बीज हम लखनऊ से लाते हैं। एक बीघे में करीब 25 हजार का मुनाफा होता है। इस काम में हमारे शौहर भी मदद करते हैं।”

उन्होंने बताया कि गेंदा की फसल ढाई से तीन माह में तैयार हो जाती है। इसकी फसल दो माह में प्राप्त हो जाती है।”

ताहिरुन्निसां ने बताया, “त्योहारों और शादी-निकाह में जब इसकी मांग बढ़ती है, तो हमें इसके अच्छे दाम मिलते हैं। इसकी मांग पूरे साल कई मौकों और जश्नों में रहती है। पहले मैं दूसरों के खेतों में काम करती थीं। उसके बाद धीरे-धीरे अपनी खेती करने लगीं। इससे आमदनी भी बढ़ी है।”

वहीं, शाहजहां ने बताया कि वह गेंदा और गुलाब, दोनों की खेती करती हैं। उन्होंने 22 बीघा खेत दूसरों से किराये पर ले रखे हैं। पहले वह दूसरे के खेतों में मजदूरी किया करती थीं। लेकिन अब धीरे-धीरे वह अपनी खेती करने लगी हैं। उन्होंने कहा, “मैं आधे में गुलाब और आधे में गेंदा की खेती करती हूं।”

गुलाब का पौधा एक बार लगाने पर दो साल तक फूल देता है। पौधा लगाने के बाद चार महीने में फूल देना शुरू कर देता है।

शाहजहां ने कहा, “हमारे खेतों में हर दिन करीब 30 से 40 किलो तक फूल निकलते हैं, जो लगभग तीन या चार हजार रुपये तक में बिक जाते हैं। इसमें भी खाद, पानी, निराई-गुड़ाई करके करीब 10 से 12 हजार रुपये का खर्च आता है। मुनाफा भी ठीक हो जाता है। इसी खेती की बदौलत बच्चों की पढ़ाई अब अच्छे स्कूल में होने लगी है।”

वजीरगंज की कुसुम व फातिमा ने भी गेंदा फूल की खेती को अपनी आय का जरिया बना लिया है। कठिन परिश्रम से उन्होंने न सिर्फ अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत की, बल्कि पक्का मकान भी बनवाया। उन्होंने अपने बच्चों को जिला मुख्यालय के एक प्राइवेट स्कूल में तालीम के लिए दाखिला कराया है।