गुम्बद के जरिए विश्‍व में पहुचेंगी शांति की गूंज

राजबाग में निर्मित गुम्बद का जायजा लेने के बाद डॉ. माशेलकर का विश्‍वास

पुणे : मानवजाति को एकत्रित लाने के लिए भविष्य में संत ज्ञानेश्‍वर गुम्बद का कार्य महान होने के साथ सभी धर्म के लोगों को एक सूत्र में पिरोने का कार्य इसके जरिए होगा. दिव्य भव्य गुम्बद के निर्माण के बाद सारी दुनिया में यहां से विश्‍व शांति की गूंजी उठेगी. ऐसा विश्‍वास वैज्ञानिक डॉ. रघुनाथ माशेलकरने एमआइटी विश्‍वशांति विश्‍वविद्यालय तथा विश्‍व शांति केन्द्र (आलंदी), माईर्स एमआइटी, पुणे की ओर से लोणीकालभोर राजबाग में निर्मित संत ज्ञानेश्‍वर गुम्बद का जायजा लेने के बाद जताया.

इस मौके पर कम्प्यूटर विशेषज्ञ पद्मभूषण डॉ.विजय भटकर, डॉ. एडीसन सामराज, डॉ. जब्बार पटेल, डॉ. शरद देशपांडे, एमआइटी विश्‍व शांति विश्‍वविद्यालय के संस्थापक अध्यक्ष प्रा.डॉ.विश्‍वनाथ दा. कराड, एमआइटी विश्‍व शांति विश्‍वविद्यालय के  कार्याध्यक्ष प्रा. राहुल विश्‍वनाथ कराड, राजबाग लोणी कालभोर स्थित एमआइटी आर्ट,डिझाईन एंड टेक्नोलॉजी विश्‍वविद्यालय के   कार्याध्यक्ष प्रा. डॉ. मंगेश. तु. कराड, एमआइटी एडीटी विश्‍वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुनिल राय, आदिनाथ मंगेशकर आदि उपस्थित थे.

डॉ. माशेलकर ने कहा, एक ओर थ्रीडी प्रिटींग का इस्तेमाल बडे पैमाने पर हो रह है .ऐसे में यहां की वास्तू मानव निर्मित होने के साथ अद्वितिय है. संपूर्ण विश्‍व में मशीन ने मानव की जगह अपने कब्जे में ली है. लेकिन यहां मशीन की जगह मानव ने ली है. गुम्बद ेनिर्माण से सारी दुनियां में पुणे की पहचान को चार चांद लगेगा.

विश्‍व के उल्टे प्रवाह की दिशा में जाते हुए एमआइटी ने मानव संसाधन का बडे पैमाने पर इस्तेमाल किया है. इसके निर्माण के बाद विश्‍व के पर्यटक इसे देखने आएंगे. ऐेस में विश्‍व के सामने अध्यात्मिक भारतभूमि क्या संदेश देगी इसे तय करते हुए उचित पंच लाइन बनाने की सलाह भी दी.

डॉ.विजय भटकर ने कहा, २१वीं सदीं की यह सबसे दिव्य भव्य वास्तू है. इससे संपूर्ण विश्‍व में भारत की अलग पहचान बनेगी यहां के अद्वितिय वास्तू की विशेषतः यह है मशीन का कम इस्तेमाल करते हुए मानव घटक का बडे पैमाने पर इस्तेमाल किया है.

प्रा.डॉ.विश्‍वनाथ दा. कराड ने कहा, भारत माता के चरणों में अर्पित ऐसी वास्तू निर्माण की नींव १२ वर्ष पूर्व रखी थी. संपूर्ण मानव जाति के कल्याण के लिए निर्मित ऐसे वास्तू का संपूर्ण कार्य १५ अगस्त तक पूर्ण कर २ अक्टूबर को उद्घाटन करने का मानस है. यहां निर्मित वर्ल्ड पीस लाइब्ररी और वर्ल्ड पीस प्रेयर हॉल विश्‍व में शांति का संदेश पहुचायेगा.