गंभीर कोविड संक्रमण, मौत से बचा सकता है विटामिन डी: अध्ययन

लंदन, 16 सितम्बर (आईएएनएस)। एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन के अनुसार, शरीर में विटामिन डी की अच्छी मात्रा कोविड-19 संक्रमण, गंभीर बीमारी और असमय मौत को रोक सकती है।

आयरलैंड में ट्रिनिटी कॉलेज, स्कॉटलैंड में एडिनबर्ग विश्वविद्यालय और चीन में झेजियांग विश्वविद्यालय की एक टीम ने पहली बार आनुवंशिक रूप से अनुमानित और विटामिन डी दोनों स्तरों को देखा है।

दो वेरिएबल की तुलना करते समय, शोधकतार्ओं ने पाया कि परिसंचरण में मापा विटामिन डी एकाग्रता के साथ सहसंबंध आनुवंशिक रूप से अनुमानित की तुलना में यूवीबी-अनुमानित विटामिन डी स्तर के लिए तीन गुना अधिक मजबूत था।

जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित रिपोर्ट बताती है कि विटामिन डी गंभीर कोविड -19 बीमारी और मृत्यु से बचा सकता है।

अध्ययन पर एक शोधकर्ता डॉ जू ली झेजियांग ने कहा कि हमारा अध्ययन लॉकडाउन के दौरान न केवल हड्डी और मांसपेशियों के स्वास्थ्य के रखरखाव के लिए विटामिन डी पूरकता की सिफारिश का समर्थन करता है, बल्कि कोविड -19 से सुरक्षा के संबंध में संभावित लाभ प्रदान करता है।

महामारी विज्ञान में एसोसिएट प्रोफेसर, ट्रिनिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन प्रोफेसर लीना जगागा ने कहा कि विटामिन डी सप्लीमेंट का एक ठीक से डिजाइन किया गया कोविड -19 या²च्छिक नियंत्रित परीक्षण करना महत्वपूर्ण है। यह देखते हुए कि विटामिन डी सप्लीमेंट सुरक्षित और सस्ते हैं, निश्चित रूप से सप्लीमेंट लेना और विटामिन डी की कमी से बचाव करना उचित है।

इसके अलावा, कोविड -19 संक्रमण से पहले किसी व्यक्ति के निवास स्थान पर परिवेशी यूवीबी विकिरण ²ढ़ता से और विपरीत रूप से अस्पताल में भर्ती और मृत्यु से जुड़ा हुआ पाया गया।

पिछले अध्ययनों ने विटामिन डी की कमी को वायरल और बैक्टीरियल श्वसन संक्रमणों की बढ़ती संवेदनशीलता के साथ जोड़ा है। इसी तरह, कई अवलोकन संबंधी अध्ययनों में विटामिन डी की कमी और कोविड -19 के बीच एक मजबूत संबंध पाया गया।

इजराइल के नाहरिया में बार-इलान विश्वविद्यालय के अजरीली फैकल्टी ऑफ मेडिसिन और नाहरिया में गैलीली मेडिकल सेंटर (जीएमसी) के शोधकतार्ओं द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि कम विटामिन डी के स्तर वाले लोगों में कोविड से मरने की संभावना कम से कम 20 प्रतिशत अधिक होती है।

उन्होंने पाया कि कोविड -19 को अनुबंधित करने से पहले विटामिन डी की कमी होने से रोग की गंभीरता और मृत्यु दर पर सीधा प्रभाव पड़ता है।

–आईएएनएस

एमएसबी/आरजेएस