कोलकाता-उत्तर सीट पर विद्यासागर प्रतिमा विखंडन का साया

कोलकाता, 18 मई (आईएएनएस)| भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के रोडशो के दौरान हुई हिंसा और प्रख्यात बंगाली शिक्षाविद ईश्चरचंद्र विद्यासागर की आवक्ष प्रतिमा तोड़े जाने को लेकर मचे राजनीतिक तूफान का केंद्र विद्यासागर कॉलेज के आसपास सन्नाटा पसरा हुआ है।

100 साल पुराना यह कॉलेज कोलकाता उत्तर संसदीय सीट के तहत आता है, जहां 19 मई को मतदान होना है। इसके अलावा आठ अन्य सीटों पर भी इस अंतिम चरण में मतदान होना है।

हिंसा की घटना के कुछ दिनों बाद विधान सरणी में स्थित सदी पुराना यह संस्थान वीरान है और इसके गेट्स पर ताले लगे हुए हैं। कॉलेज के बाहर से कोई भी विद्यार्थी या कॉलेज अधिकारी दिखाई नहीं देता, जबकि कॉलेज के सामने बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात हैं।

कॉलेज के गेट पर और कॉलेज की दीवारों पर कई सारे विशाल पोस्टर और बैनर विरोधस्वरूप लगे हुए हैं, जिन पर विखंडित प्रतिमा के चित्र छपे हैं। इस तरह के एक पोस्टर पर लिखा है “वर्णपरिचयेर उपोर अघातेर प्रातिवाद” (वर्णपरिचय पर हमले के खिलाफ प्रदर्शन)। ‘वर्णपरिचय’ बांग्ला वर्णमाला और बांग्ला की प्राथमिक पाठ्यपुस्तक है, जो विद्यासागर की लिखी हुई है।

कई स्थानीय निवासियों ने कहा कि विद्यासागर जैसे बंगाली विद्वान की प्रतिमा पर हमले का चुनाव परिणाम पर काफी असर हो सकता है।

कॉलेज के बगल में स्थित विश्वभारती प्रकाशन की एक बुक-शॉप पर काम करने वाले एम.रहमान ने कहा, “इस बारे में यहां कोई खुलकर चर्चा नहीं कर रहा है, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि यह एक अवांछित घटना थी और स्थानीय लोगों को यह अच्छा नहीं लगा है। हमें अपराह्न् से ही तनाव का आभास हो गया था। लेकिन मैंने इस इलाके में इससे पहले इस तरह की हिंसा नहीं देखी थी।”

उन्होंने कहा, “फिलहाल इस बारे में भ्रम की स्थिति है कि प्रतिमा किसने तोड़ी। लेकिन यदि यह साबित होता है कि इसमें भाजपा समर्थक शामिल थे, तो इसका वोट पर काफी असर हो सकता है।”

किसी समय शहर की वाणिज्यिक गतिविधि, शिक्षा और सांस्कृतिक गतिविधि का केंद्र रहे इस क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें आती हैं। ये सीटें चौरंगी, एंटाली, बेलेघाटा, जोरासांको, श्यामपुकुर, माणिकतला और काशीपुर बेलागछिया हैं।

यहां चतुष्कोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है, और चारों मुख्यधारा की पार्टियों के उम्मीदवार हैं।

राज्य में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने मौजूदा सांसद और शारदा चिटफंड घोटाले में आरोपी सुदीप बंद्योपाध्याय को उम्मीदवार बनाया है, जबकि भाजपा ने पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा को टिकट दिया है, जो पिछले चुनाव में भी उम्मीदवार थे। माकपा ने कनिका बोस घोष को उम्मीदवार बनाया है तो कांग्रेस ने सैयद शाहिद इमाम को मैदान में उतारा है।

हालांकि इस सबसे कम मतदाताओं (14.44 लाख) वाले इस लोकसभा क्षेत्र में छोटी-बड़ी पार्टियों को मिलाकर कुल 21 उम्मीदवार मैदान में हैं।

पिछले चुनाव में बंद्योपाध्याय ने सिन्हा को लगभग एक लाख मतों के अंतर से पराजित किया था। उन्हें लगभग 36 प्रतिशत वोट मिले थे। लेकिन भाजपा के वोट प्रतिशत में वर्ष 2009 के चुनाव की तुलना में 21 प्रतिशत की जोरदार वृद्धि हुई थी।

बंद्योपाध्याय ने वर्ष 2009 में 1.09 लाख मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी, और उन्हें 52.5 प्रतिशत वोट मिले थे। उनके निकट प्रतिद्वंद्वी मोहम्मद सलीम को 40 प्रतिशत से अधिक, जबकि भाजपा के तथागत रॉय को 4.22 प्रतिशत वोट मिले थे।

इस बार सिन्हा को भरोसा है कि पूरे बंगाल में पार्टी के समर्थन-आधार में वृद्धि होगी।

सिन्हा ने आईएएनएस से कहा, “यह कहना कठिन है कि इस क्षेत्र में क्या कमी रह गई है, क्योंकि पिछले पांच सालों में यहां कोई काम ही नहीं हुआ है। उनके (बंद्योपाध्याय) खिलाफ शिकायतों की सूची बहुत लंबी है। वह जनता के साथ नहीं रह सके, क्योंकि शारदा घोटाले के संबंध में वह लगभग दो साल जेल में रहे।”

हालांकि बंद्योपाध्याय अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं। उन्होंने कहा, “अपने चुनाव प्रचार के दौरान कभी-कभी मैंने महसूस किया कि मुझे अन्य पार्टियों के लिए जगह बनाने के लिए आराम करना चाहिए। अभी तक मुझे सड़क पर तृणमूल कांग्रेस के अलावा दूसरी कोई पार्टी दिखाई नहीं दी।”

उन्होंने सिन्हा को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “मैं अबतक आठ बार चुनाव जीत चुका हूं (इसमें से चार बार विधानसभा चुनाव) और मैं नौवीं बार जीतने के लिए लड़ रहा हूं। दूसरी ओर, भाजपा उम्मीदवार एक बार भी चुनाव नहीं जीत पाए हैं। गणित स्पष्ट है कि इस बार कौन पसंदीदा उम्मीदवार है।”

गिरीश पार्क इलाके में स्थित इंडियन बॉयज क्लब के बाहर कैरम बोर्ड खेलने में व्यस्त युवाओं के एक समूह ने कहा कि विद्यासागर कॉलेज की घटना के बाद क्षेत्र के लोग भाजपा को वोट देने के बारे में दो बार सोचेंगे। भाजपा ने हालांकि इस आरोप से इनकार किया है, और इसके लिए तृणमूल कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है।

स्वामी विवेकानंद के पैतृक गृह के सामने स्थित 97 साल पुरानी डी.एम. लाइब्रेरी के पुस्तकालयाध्यक्ष, आशीष गोपाल मजूमदार ने कहा कि हाल के वर्षो में कोलकाता की संस्कृति में आए बदलाव के कारण शहर में भाजपा को घुसने का मौका मिला है।

मजूमदार ने कहा, “हम इससे इनकार नहीं कर सकते कि हमारी संस्कृति में बदलाव आया है। बंगाली लोग हिंदी पट्टी की संस्कृति को अधिक से अधिक अपना रहे हैं। इसमें आश्चर्य नहीं कि भाजपा का यहा समर्थन आधार बढ़ रहा है।”

उन्होंने कहा, “यहां विकास ज्यादातर दिखावटी रहा है। सड़कों और फुटपाथों की दशा सुधरी है। इलाके में रोशनी है। विवेकानंद के घर का जीर्णोद्धार किया गया है। लेकिन कोई उम्मीदवार शिक्षा के बारे में बात नहीं करता। वे प्रचार के नाम पर असभ्य आचरण कर रहे हैं। हमें इसे बदलने की जरूरत है।”