कोरोना के चलते आरबीआई ने दरों में समायोजन का रूख बरकरार रखा

मुंबई, 4 जून (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2022 की दूसरी मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान विकास-उन्मुख समायोजन रुख के साथ-साथ अपनी प्रमुख अल्पकालिक उधार दरों को बरकरार रखा है। तदनुसार, केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने वाणिज्यिक बैंकों के लिए रेपो दर या अल्पकालिक उधार दर को 4 प्रतिशत पर बनाए रखने के लिए मतदान किया है।

इसी तरह से रिवर्स रेपो दर को 3.35 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर को 4.25 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा गया है।

एमपीसी के फैसले के बाद अपने बयान में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, एमपीसी ने सर्वसम्मति से एक स्थायी आधार पर विकास को पुनर्जीवित करने, बनाए रखने और अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 के प्रभाव को कम करने के लिए समायोजन के रुख को जारी रखने का फैसला किया और इस बात को भी सुनिश्चित किया कि मुद्रास्फीति भविष्य में लक्ष्य के भीतर बनी रहे।

व्यापक रूप से यह अपेक्षा की गई थी कि एमपीसी दरें और समायोजनात्मक रुख बनाए रखेगी।

दास ने अपने बयान में आगे कहा, समायोजन को लेकर एमपीसी का विचार था कि इस वक्त विकास की गति को फिर से हासिल करने के लिए सभी पक्षों से नीतिगत समर्थन की आवश्यकता है जो कि एच2: 2020-21 में स्पष्ट रही है और एक बाद रिकवरी होने के बाद उसे भलीभांति पोषित करने की भी जरूरत है। तदनुसार, एमपीसी ने नीतिगत दर को 4 प्रतिशत के अपने मौजूदा स्तर पर तब तक बनाए रखने का निर्णय लिया है, जब तक जरूरत है।

इस वक्त भारत कोरोना की दूसरी लहर से बहुत बुरी तरह से प्रभावित है। इससे निपटने के लिए लॉकडाउन लगा दिया गया और यात्राओं पर भी प्रतिबंध लगा दिए गए हैं, नतीजतन आर्थिक गतिविधि धीमी हो गई है। इसलिए आरबीआई ने भारत में वित्त वर्ष 2022 के लिए विकास अनुमान को 10.5 प्रतिशत से घटाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया है।

–आईएएनएस

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