शिनच्यांग के इतिहास जानने वाले लोगों को पता है कि शिनच्यांग सवाल का मर्म आतंकवाद का विरोध और उग्रवाद मिटाना है, जो मानवाधिकार का सवाल नहीं है।
ये कुछ गिने-चुने पश्चिमी देश संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते। इस साल हुए यूएन मानवाधिकार परिषद के 46वें सम्मेनल में सऊदी अरब और यूएई जैसे इस्लामी देशों समेत 80 से अधिक देशों ने विभिन्न तरीकों से शिनच्यांग सवाल पर चीन का समर्थन व्यक्त किया।
हाल ही में आयोजित चीन प्लस पांच मध्य एशियाई देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में मध्य एशियाई देशों ने चीन के अपने केंद्रीय हितों की सुरक्षा का डटकर समर्थन किया और चीन के आंतरिक मामलों में दखलंदाजी करने का विरोध किया।
ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, सिंगापुर और स्वीडन की कई मीडिया ने हाल ही में आलेख जारी कर शिनच्यांग में आतंकवाद के विरोध में प्राप्त सफलता की प्रशंसा की और पश्चिमी देशों की भू-राजनीतिक षड्यंत्र का पदार्फाश भी किया।
संयुक्त राष्ट्र में शिनच्यांग सवाल पर अमेरिका समेत इन गिने-चुने पश्चिमी देशों का तमाशा विफल हो चुका है। अगर वे राजनीतिक सट्टेबाजी नहीं छोड़ते तो उनकी सभी प्रतिष्ठा अंत में खो जाएगी।
(साभार : चाइना मीडियाग्रुप, पेइचिंग)
–आईएएनएस
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