किसान मोर्चा माओवाद तो नहीं? पूनम महाजन उवाच

नई दिल्ली: पुणेसमाचार
लगभग 200 किमी तक पैदल चलकर अपने अधिकारों की माँग करने वाले किसानों पर भाजपा की सांसद ने माओवादी होने का लेबल लगा दिया है। उत्तर-मध्य मुंबई से भाजपा की सांसद पूनम महाजन ने फरमाया है कि किसानों की सारी समस्याएँ सही हैं लेकिन ऐसा तो नहीं कि आंदोलन के पीछे माओवाद हो?

इतनी लंबी यात्रा पैदल चलकर आने वाले किसानों के पैरों से ख़ून बह निकला लेकिन इसकी परवाह किए बिना वे लगातार 200 किलोमीटर चलते रहे। इसके बदले उन्हें सहानुभूति मिलने की अपेक्षा थी लेकिन सत्ता दल की सांसद ने उनका दर्द नहीं समझा। उनकी ऐसी टिप्पणी की चहूँ ओर से निंदा हो रही है। राष्ट्रवादी काँग्रेस की सांसद सुप्रिया सुले ने ट्विटर पर पूनम महाजन को करारा जवाब दिया है। पैरों में काँटा चूभ जाने से बहने वाले ख़ून का रंग लाल होता है लेकिन केवल इसलिए वह माओवादी नहीं होता। किसानों के मेहनत के ख़ून-पसीने में कोई राजनीति नहीं होती।

किसानों का मोर्चा श्रमिकों का मोर्चा है। उन्होंने ट्विट किया है कि न्याय और अधिकार की इच्छा से आंदोलन करने वाले किसानों को शहरी माओवादी कहने वालों का विरोध हो।