कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने आज कावेरी जल विवाद पर अहम फैसला सुनाया. यह विवाद दक्षिण भारतीय राज्यों तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल के बीच कई दशकों से चला आ रहा था. कोर्ट ने कावेरी नदी के पानी का बंटवारा करते हुए कर्नाटक के हिस्से का पानी बढ़ा दिया. जबकि तमिलनाडु को 192 की बजाए 177.25 TMC पानी देने का फैसला सुनाया. वहीं बेंगलुरु को 4.75 TMC पानी देने को कहा. कोर्ट ने कर्नाटक के हिस्से के पानी में 14.75 TMC पानी बढ़ाया है. कोर्ट के फैसले के बाद अब कर्नाटक को कुल 285 TMC पानी मिलेगा.

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 20 सितंबर 2017 को अपना आदेश सुरक्षित रखा. जिसके बाद आज कोर्ट ने फैसला सुनाया है. कोर्ट का कहना है कि नदी पर किसी का अधिकार नहीं होता. कोर्ट ने राज्यों के लिए पानी का फिर से बंटवारा कर दिया है और कहा कि अब इस फैसले को लागू करना केंद्र का काम है.

भारतीय संविधान के अनुसार कावेरी एक अंतर्राज्यीय नदी है. कर्नाटक और तमिलनाडु इस कावेरी घाटी में पड़ने वाले प्रमुख राज्य हैं. इसलिए दोनों ही इस पर अपना हक जता रहे थे. लेकिन इस घाटी का एक हिस्सा केरल में भी पड़ता है और समुद्र में मिलने से पहले ये नदी कराइकाल से होकर गुजरती है, जो पुडुचेरी का हिस्सा है. इसलिए इस नदी के जल के बंटवारे को लेकर इन चारों राज्यों में विवाद का एक लंबा इतिहास रहा है. चारों राज्य ही इस नदी पर अपना अधिकार जताते आ रहे हैं.

जल विवाद की असली जड़ मद्रास-मैसूर एग्रीमेंट 1924 को माना जाता है. विवाद के निपटारे के लिए 1990 में केंद्र सरकार ने एक ट्रायब्यूनल बनाया. जिसे पानी की किल्लत की समस्या पर गौर फरमाना था. 1924 में मद्रास प्रेसीडेंसी और मैसूर राज के बीच ही यह विवाद था और दोनों के बीच पानी को लेकर समझौता भी हो गया. लेकिन बाद में इस विवाद में केरल और पुडुचेरी भी शामिल हो गए जिससे यह विवाद गहरा गया. उसके बाद से ही यह विवाद चला आ रहा था. जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है.