कर्नाटक में कांग्रेस व जद-एस के बीच ‘संघर्षविराम’ का आह्वान

 बेंगलुरु, 20 मई (आईएएनएस)| कर्नाटक में लोकसभा की 28 सीटों के नतीजों के आने से पहले सत्तारूढ़ जनता दल सेकुलर (जद-एस) और कांग्रेस ने सोमवार को दोनों दलों के नेताओं के बीच चल रहे आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला रोककर ‘संघर्षविराम’ का आह्वान किया।

 कर्नाटक की कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष दिनेश गुंडु राव ने कन्नड़ भाषा में ट्वीट किया, “मैं दोनों दलों के नेताओं से विवादास्पद बयान नहीं देने और सार्वजनिक रूप से या मीडिया में एक-दूसरे पर टिप्पणी नहीं करने की अपील करता हूं।”

राव की यह अपील कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा पार्टी नेताओं को जद-एस नेताओं की आलोचना से दूर रहने का निर्देश देने के बाद आई है।

राहुल ने अपनी पार्टी के राज्य के नेताओं से दिल्ली में कहा कि वे जद-एस के साथ गठबंधन धर्म का पालन करते हुए काम करें। उन्होंने बीते एक पखवाड़े से दोनों दलों के नेताओं के बीच चल रहे आरोप-प्रत्यारोप पर चिंता जताई।

उन्होंने पार्टी नेताओं से कहा, “मैं आपसे मुख्यमंत्री एच.डी.कुमारस्वामी, जद-एस के सुप्रीमो एच.डी.देवगौड़ा समेत तमाम अन्य नेताओं के साथ सौहार्द बनाए रखने की गुजारिश कर रहा हूं क्योंकि गठबंधन सरकार को बने रहना है और राज्य की जनता की सेवा करना है।”

राव के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री व पार्टी विधायक दल के नेता सिद्धारमैया, उप मुख्यमंत्री जी.परमेश्वर, पार्टी के राज्य मामलों के प्रभारी के. सी. वेणुगोपाल ने गांधी से मुलाकात कर यह सुनिश्चित किया कि 23 मई को नतीजे आने के बाद गठबंधन सरकार पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।

कांग्रेस के इस कदम पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए जद-एस के राज्य प्रमुख ए.एच. विश्वनाथ ने कहा कि गठबंधन सरकार को न तो उनकी पार्टी के नेताओं की तरफ से और न ही लोकसभा चुनाव के नतीजों से कोई खतरा होने वाला है।

विश्वनाथ ने मैसुरु में कहा, “कुमारस्वामी के नेतृत्व में गठबंधन सरकार अपने पूरे कार्यकाल में लोगों के लिए काम करना जारी रखेगी।”

कुमारस्वामी ने भी ट्वीट कर कहा कि उनकी सरकार 2023 तक अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी।

दोनों गठबंधन सहयोगियों के बीच मतभेद तब उभरे जब कांग्रेस के दो मंत्रियों और दस विधायकों ने कहा कि वे सिद्धारमैया को अपना नेता मानते हैं और उन्हें कुमारस्वामी की जगह पर फिर से मुख्यमंत्री पद पर देखना चाहते हैं।

इस पर पलटवार करते हुए विश्वनाथ ने कहा था कि सिद्धारमैया अपने वफादारों पर लगाम लगाने पर नाकाम रहे हैं। उन्होंने कहा कि शीर्ष पद खाली नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि सिद्धारमैया के नेतृत्व में ही कांग्रेस की विधानसभा चुनाव में हार हुई थी।

विवाद में शामिल होते हुए कुमारस्वामी ने भी कहा था कि कांग्रेस के वरिष्ठ दलित नेता मलिकार्जुन खड़गे को बहुत पहले मुख्यमंत्री बन जाना चाहिए था लेकिन ऐसा क्यों नहीं हुआ, इसकी वजह तो राज्य के कांग्रेस नेता ही जानते होंगे।