कठपुतली शासन का अंत जरूर होना चाहिए : पीडीएम

पेशावर, 23 नवंबर (आईएएनएस)। स्थानीय प्रशासन की अनुमति के बिना पाकिस्तान डेमोक्रेटक मूवमेंट (पीडीएम) ने पेशावर में रैली की, जिसके दौरान इसने इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार पर तीखे हमले किए गए। पीडीए में देश के 11 विपक्षी दल शामिल हैं।

डॉन न्यूज के अनुसार, कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बीच, शहर के रिंग रोड इलाके में रविवार की रैली में लगभग एक दर्जन राजनीतिक दलों के हजारों समर्थकों और कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।

इसके अलावा रविवार को, खैबर पख्तूनख्वा ने ताजा खुफिया रिपोर्टो का हवाला देते हुए चेतावनी जारी की थी कि रैली में आंतकवादी हमले की आशंका है।

अपने संबोधन में, पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के चेयरपर्सन बिलावल भुट्टो-जरदारी ने दोहराया कि इमरान खान की सरकार के जाने का समय आ गया है।

उन्होंने कहा, हम पपेट (कठपुतली) सरकार और उनके चयनकर्ताओं को जवाबदेह ठहराएंगे। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार को तब तक खत्म नहीं किया जा सकता है, जब तक कि भूमि का कानून पाकिस्तान के न्यायाधीशों, जनरलों और राजनेताओं के लिए समान रूप से लागू नहीं हो जाता।

डॉन यूज के मुताबिक, इस बीच, पीडीएम और जमीयत उलेमा इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने खान को पाकिस्तान का मिखाइल गोर्बाचेव घोषित करते हुए कहा कि उनकी हरकतें और नीतियां देश को खोखला कर देंगी, जिससे यह विघटन की चपेट में आ जाएगा।

उन्होंने कहा, सरकार की नीतियों का मकसद फॉर्मर फाटा और गिलगित-बाल्टिस्तान जैसे सीमा क्षेत्रों के भूगोल को बदलना है।

उन्होंने आगे कहा कि कठपुतली शासकों ने देश के साथ-साथ विदेशों में भी अपनी विश्वसनीयता खो दी है।

मौजूद होने के बावजूद, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) की उपाध्यक्ष मरियम नवाज ने लंदन में अपनी दादी के निधन की खबर मिलने के बाद किसी रैली को संबोधित नहीं किया।

पेशावर के बाद, पीडीएम दो और रैलियों का आयाजन करने वाला है- 30 नवंबर को मुल्तान में और 13 दिसंबर को लाहौर में।

–आईएएनएस

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