विभाग की शुरुआत को लेकर जारी की गई आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, यह उत्तर प्रदेश में अपनी तरह का पहला विभाग है और यह जल्द ही यहां लीवर ट्रांसप्लांट प्रोग्राम शुरू करने की योजना है।
एसजीपीआईएमएस के निदेशक प्रोफेसर आर.के. धीमान ने कहा, इस विभाग की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देश की लगभग 10 प्रतिशत आबादी लीवर संबंधी बीमारियों से पीड़ित है।
वहीं वर्चुअल तौर पर बातचीत में शामिल हुए इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बाइलरी साइंसेज के निदेशक सरीन ने कहा, हेपेटाइटिस बी और सी, शराब और फैटी लीवर के कारण उत्तर प्रदेश में लीवर की बीमारियों के मरीज बहुत ज्यादा हैं। फैटी लिवर के कारण डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, पित्ताशय में पथरी और यहां तक कि कैंसर भी हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हिपेटोलॉजी विभागों के सामूहिक प्रयासों से लीवर की बीमारियों के उपचार और इन बीमारियों की रोकथाम के लिए एक व्यापक कार्यक्रम बनाया जाएगा।
–आईएएनएस
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