एक राष्ट्र, एक संविधान और जनता की शक्ति : प्रधानमंत्री

नई दिल्ली, 15 अगस्त (आईएएनएस)| स्वतंत्रता दिवस के ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा कि वह इस बात से काफी दुखी थे कि पंचायती राज निकायों से संबंधित संविधान का 73वां संशोधन जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होता था। प्रधानमंत्री ने यह बात उनकी सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला लिए जाने के कुछ दिनों बाद आईएएनएस से बातचीत में कही।

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ साल से जम्मू-कश्मीर में पंचायतों को लोगों की प्रगति और संविधान के 73वें संशोधन के तहत विभिन्न विषयों को लेकर काम करने की अधिक शक्ति मिली।

उनके इस संकेत का अभिप्राय स्पष्ट था जैसा कि जम्मू-कश्मीर के परिप्रेक्ष्य में उठाए गए कदमों का जिक्र उन्होंने गुरुवार को स्वतंत्रता दिवस पर लाल किला के प्राचीर से अपने संबोधन में किया।

प्रधानमंत्री ने कहा, “लाल किला से मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि हर भारतीय कह सकता है अब हर भारतीय ‘एक राष्ट्र, एक संविधान’ की बात कह सकता है। सरदार पटेल के एक भारत का सपना साकार हुआ।”

प्रधानमंत्री ने साक्षात्कार के दौरान जम्मू-कश्मीर सरकार की हालिया पहल ‘गांव की वापसी’ का जिक्र किया था। इस पहल के तहत अधिकारी लोगों के पास जाते हैं और उनकी समस्याओं का समाधान करते हैं।

अनुच्छेद 370 पर आपके फैसले का अनेक लोगों ने स्वागत किया है, हालांकि कुछ लोगों ने विरोध भी की है। मगर, इस समय बेचैन करने वाली एक प्रकार की शांति प्रतीत हो रही है। आपको क्यों लगता है कि जम्मू-कश्मीर के लोग आपके साथ खड़े होंगे

इस सवाल का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “कृपया कश्मीर के संबंध में फैसले का विरोध करने वाले लोगों की फेहरिस्त देखिए, इनमें अक्सर निहित स्वार्थ वाले समूह, राजनीतिक घराने, आतंकियों से सहानुभूति रखने वाले लोग और विपक्ष के कुछ मित्रगण हैं।”

भारत की जनता ने अपनी राजनीतिक पंसद से ऊपर उठकर जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में उठाए गए कदमों का समर्थन किया है। यह राष्ट्र हित में लिया गया फैसला है न कि इसमें राजनीतिक हित है।

देश की जनता देख रही है कि पहले जो सख्त व आवश्यक फैसले असंभव माने जाते थे वो अब सच्चाई बन रहे हैं। इससे जाहिर है कि अनुच्छेद 370 और 35 ए के कारण किस प्रकार जम्मू-कश्मीर और लद्दाख पूरी तरह अलग-थलग पड़ गए थे।

जाहिर है कि सात दशकों की यथास्थिति से लोगों की आकांक्षाएं पूरी नहीं हो सकी। नागरिकों को विकास के फल से दूर रखा गया। आय बढ़ाने के लिए किसी प्रकार के समुचित आर्थिक उपाय का नहीं होना सबसे बड़ी त्रासदी थी। हमारा नजरिया अलग है। गरीबी के दुष्चक्र के बदले लोगों को अधिक आर्थिक अवसरों की जरूरत है।

नई व्यवस्था में जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए आपका क्या संदेश है जिससे वे भारत में सुधार के कार्यक्रमों का लाभ उठा सकें और उन्हें नौकरियों और बेहतर जीवन के अवसर मिलें?

इस पर उन्होंने कहा, “वर्षो से भय का माहौल बना रहा, लेकिन अब हमें विकास का मौका दीजिए। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के मेरे भाइयों और बहनों को हमेशा बेहतर भविष्य की चाहत थी लेकिन अनुच्छेद 370 ने यह नहीं होने दिया। महिलाओं, बच्चों और अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्गो के लोगों के साथ अन्याय हुआ। सबसे अधिक महत्वपूर्ण बात यह रही कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के नवाचारी उत्साह का उपयोग नहीं हुआ। अब, बीपीओ से लेकर स्टार्टअप, खाद्य प्रसंस्करण से लेकर पर्यटन, अनेक उद्योग निवेश करके स्थानीय युवाओं के लिए अवसर पैदा कर सकते हैं। शिक्षा और कौशल विकास का भी प्रसार होगा। मैं स्पष्ट तौर पर जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के अपने भाइयों और बहनों को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि इन क्षेत्रों का विकास स्थानीय लोगों की आकांक्षाओं और उनके सपनों के अनुरूप किया जाएगा।”

उन्होंने कहा, “इन क्षेत्रों का विकास सबसे पहले वहां के लोगों की शक्तियों से होगा। अनुच्छेद 370 और 35 (ए) बेड़ियों की तरह थे जिनमें उनको जकड़ कर रखा गया था। ये बेड़ियां अब टूट चुकी हैं, लोग इनसे बंधन मुक्त हो चुके हैं और वे अब अपने भाग्य का निर्माण करेंगे।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “हम चुनाव जीतने के लिए काम नहीं करते हैं बल्कि हम लोगों का भरोसा जीतने के लिए काम करते हैं। अगर हम लोगों का विश्वास नहीं जीतेंगे तो महज सरकारी लक्ष्यों को पूरा करके हम बहुत कुछ हासिल नहीं कर सकते हैं।”

उन्होंने कहा, “सरकारी धन से ज्यादा जनता के मन की ताकत होती है। हम लोगों के कल्याण पर फोकस करते हैं और चुनाव उसका उपोत्पाद है। मैं 20 साल से कई अभियानों में सक्रिय रहा हूं और एक भी चुनाव ऐसा नहीं था जब मेरी हार का पूर्वानुमान नहीं किया गया।”

उन्होंने 2019 के चुनाव के संबंध में कहा, “मैं आपको बता सकता हूं कि चुनावी संभावानाओं को लेकर मैं पूरी तरह आश्वस्त था। लोगों ने मन बना लिया था कि 21वीं सदी के भारत में वे भ्रष्टाचार, भाईभतीजावाद और वंशवाद की राजनीति नहीं देखना चाहते हैं। हम विकास और निष्पादन के युग में हैं जहां परंपरा और प्रतीकवाद पुरानी बातें हो गई हैं।”

उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कांग्रेस पार्टी की न्याय स्कीम का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “शायद यह अब तक का सबसे बड़ा चुनावी वादा था लेकिन लोगों ने इसे खोखला वादा समझा। जिन्होंने 72,000 रुपये का वादा किया उनको 72 सीटें भी नहीं मिलीं।”