उ.प्र. : वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के खिलाफ सतर्कता जांच के आदेश (लीड-1)

 लखनऊ, 2 नवंबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं।

  अधिकारी पर नोएडा, ग्रेटर नोएडा और लखनऊ सहित अन्य स्थानों पर बेनामी संपत्ति रखने के अलावा अपनी आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। इसी के कारण वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ ‘गुप्त’ सतर्कता जांच शुरू की गई है।

एक उच्च पदस्थ सूत्र के अनुसार, राज्य पशुपालन विभाग में सचिव के रूप में तैनात एस.के. सिंह केखिलाफ जांच शुरू की गई है। विशेष सचिव आर.पी.सिंह ने एक अक्टूबर को जांच के आदेश जारी किए।

सूत्रों के अनुसार, एस.के. सिंह के खिलाफ छह और 19 अगस्त को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के एक वकील से प्राप्त दो शिकायतों के बाद जांच के आदेश दिए गए।

मुख्यमंत्री कार्यालय को मिलीं शिकायतों को जांच के लिए राज्य सतर्कता विभाग के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) को भेज दिया गया था।

आर.पी. सिंह द्वारा जारी आदेश में जांच समय पर पूरा करने के लिए कहा गया है। सूत्र ने कहा कि मामले की जांच सतर्कता विभाग के एक अधिकारी द्वारा की जा रही है, जिसके पास वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) का पद है।

वकील ने शिकायतों में आरोप लगाया है कि अधिकारी ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के महाप्रबंधक के रूप में कार्यरत रहते हुए अपने परिवार के सदस्यों और अन्य लोगों के नाम पर ‘बड़ी मात्रा में बेनामी संपत्ति’ अर्जित की।

एस.के. सिंह इससे पहले बांदा, चंदौली और फरु खाबाद के जिला मजिस्ट्रेट के रूप में काम कर चुके हैं। उन्होंने मेरठ और मुरादाबाद विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं।

संपर्क किए जाने पर एस.के. सिंह ने आईएएनएस से कहा कि उन्हें उनके खिलाफ लंबित जांच की कोई जानकारी नहीं है।

उन्होंने कहा, “मैं अपने बारे में यह बात केवल आप से ही सुन रहा हूं। मैं अवैध और गैरकानूनी हथियारों से संबंधित 400 से अधिक मामलों में एक मुखबिर हूं।”

सिंह ने कहा, “इन मामलों में कई अपराधी स्वाभाविक रूप से शामिल हैं। शायद किसी ने इन मामलों में मेरे कार्यो से दुखी होने के बाद मेरे खिलाफ शिकायत की है।”

‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर सख्ती से काम करते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस साल तीन जुलाई को 400 से अधिक भ्रष्ट अधिकारियों को कड़ी सजा देने की चेतावनी दी थी और लगभग 200 कर्मचारियों को जल्द सेवानिवृत्ति करने का फैसला किया था।

उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों के अनुसार, राज्य सरकार ने 200 अधिकारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के लिए कहा है, क्योंकि वे भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी पाए गए हैं।

साथ ही 400 से अधिक भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों को कड़ी सजा की चेतावनी दी गई है।

20 जून को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्ट अधिकारियों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा था कि वे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के लिए बाध्य होंगे।

सचिवालय प्रशासन विभाग के काम की लखनऊ में हुई समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा था, “सरकार में भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए कोई जगह नहीं है। ऐसे अधिकारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के लिए मजबूर किया जाना चाहिए।”